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Budget Election states: यूपी-पंजाब समेत कई राज्यों में चुनाव के बीच मोदी सरकार का बजट, कितना होगा लोक-लुभावन?

यूपी और पंजाब समेत साल 2022 में कुल सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा, ये माना जा रहा है कि मोदी सरकार के इस बजट में चुनावी राज्यों पर फोकस किया जा सकता है. खासकर, किसानों को भी तवज्जों दी जा सकती है.

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नरेंद्र मोदी और निर्मला सीतारमण
नरेंद्र मोदी और निर्मला सीतारमण
स्टोरी हाइलाइट्स
  • साल 2022 में देश के सात राज्यों में चुनाव हैं
  • सात मेंं से छह प्रदेशों में बीजेपी की सरकार है
  • यूपी चुनाव 2024 का सेमीफाइल माना जा रहा

केंद्र की मोदी सरकार मंगलवार को देश का आम बजट पेश कर रही है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह तीसरा आम बजट है जबकि, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये चौथा बजट है. कहीं न कहीं ये आम बजट राज्यों में होने वाले चुनाव की दिशा को भी तय करेगा. ऐसे में माना जा रहा कि मोदी सरकार के बजट का फोकस चुनावी राज्यों पर हो सकता है, जहां के लिए सरकार अपना खजाना खोल सकती है. 

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2022 में किन राज्यों में चुनाव?

केंद्रीय बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जब उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव प्रक्रिया चल रही है. देश के सात राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में इस महीने विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होने हैं जबकि हिमाचल और गुजरात में साल के आखिर में चुनाव होने हैं. ऐसे में माना जा सकता है कि सरकार इन राज्यों के लिए खास योजनाओं और फंडिंग से जुड़ी घोषणाओं का तोहफा दे सकती है. 

बजट में उत्तर प्रदेश पर फोकस!

उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव पर इस बजट का खासा असर पड़ सकता है. सरकार किसकी बनेगी, जनता किसे चुनेगी ये इस बजट से तय हो सकता है, क्योंकि यूपी की जनता बजट में सरकार से उम्मीदें लगाए बैठी है. ऐसे में मोदी सरकार के आम बजट (Budget 2022-23)में देश के चुनावी राज्यों पर विशेष कृपादृष्टि नजर हो सकती. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करेंगी.

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वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने आजतक के बजट कार्यक्रम के कहा कि किसानों की एमएसपी गारंटी की मांग है. यूपी में किसान वोटर काफी अहम है. ऐसे में निश्चित तौर पर सरकार बजट के जरिए चुनावी राज्यों के सियासी समीकरण साध सकती है. 

मोदी सरकार का लक्ष्य देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी बनाना है, लिहाजा सरकार अभी बड़े स्तर खर्चा करने को लेकर दिलचस्पी दिखा सकती है. हालांकि इसके लिए रोजगार और निवेश को बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे. आयकर के पक्ष पर दृष्टि डालें तो ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि सरकार टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन कर सकती है. मगर ये उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि बढ़ती महंगाई के बीच सरकार कर छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर पांच लाख पर कर दे. 

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मोदी सरकार का फोकस इस बार भी इंफ्रा पर विशेष रूप से रह सकता है. अनुमान लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार इस बार भी सड़क, रेलवे और जलमार्ग से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर कई बड़ी योजनाओं का ऐलान कर सकती है.

आम जनता से लेकर उद्योग संगठनों तक को इस बजट से कई अपेक्षाएं हैं. योजनाओं में सृजित रोजगार के आधार पर प्रोत्साहन की एक्स्ट्रा रेट भी जोड़ी जानी चाहिए. सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया है कि ज्यादा तादाद में रोजगार देने वाले चमड़ा और खाद्य प्रसंस्करण जैसे सेक्टर को निवेश आकर्षित करने और नए रोजगार पैदा करने के लिए प्रोत्साहन योजना के दायरे में लाया जाना चाहिए. 

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