पिछले कई हफ्तों से केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सुगबुगाहट चल रही है, अभी तक कोई तय तारीख सामने नहीं आई है. लेकिन कई तरह की संभावनाएं जताई जा रही हैं. माना जा रहा है कैबिनेट में फेरबदल की कुछ विंडोज खुल सकती हैं. एक तो सात जुलाई से पहले यह विस्तार हो सकता है या फिर संसद के मॉनसून सत्र के बाद या स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी के देश को संबोधन के बाद की भी संभावनाएं हैं.
हालांकि, सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि फेरबदल पीएम मोदी का विशेषाधिकार है, क्योंकि उन्हें महामारी और संसद के आगामी सत्र जैसे विभिन्न चीजों पर विचार करना होता है. उन्होंने कहा कि 30 जून को शाम को कैबिनेट को संबोधित करते हुए पीएम ने अपने मंत्री सहयोगियों को विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में तथ्यों और आंकड़ों के साथ खुद को तैयार करने के लिए कहा था. यह कॉमेंट इस बात का संकेत माना जा रहा है कि संसद के आगामी सत्र के बाद फेरबदल हो सकता है.
सूत्रों का कहना है कि जब भी मोदी कैबिनेट में बदलाव होगा, तो उम्मीद है कि यह न केवल पीएम मोदी के बाकी बचे तीन सालों के कार्यकाल के लिए प्रशासनिक शासन को आकार देने की कवायद होगी, बल्कि आने वाले विभिन्न चुनावों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को सही करके एक राजनीतिक संकेत भेजने की भी उम्मीद होगी. एक मंत्री ने बताया, ''यह पीएम द्वारा मध्यावधि सुधार होगा''.
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नियमों के अनुसार, मोदी कैबिनेट में 81 सदस्य हो सकते हैं, जबकि वर्तमान समय में 53 मंत्री हैं. सूत्रों का कहना है कि पीएम सरकार के प्रशासनिक और राजनीतिक सुधार के लिए खाली पड़े 28 पदों में से कुछ को भर सकते हैं. सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी काउंसिल में 20 से अधिक बदलाव कर सकते हैं. एक नेता ने कहा, "फेरबदल में कुछ नए शामिल हो सकते हैं. कुछ नेताओं को सरकार से पार्टी में भेजा जा सकता है.''
लंबे समय से इंतजार में ये नेता
कई नेता लंबे समय से कैबिनेट फेरबदल के इंतजार में हैं. ऐसे में जो लोग इंतजार कर रहे हैं और जिन्हें शामिल किया जा सकता है, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं. वे पिछले साल 10 मार्च को कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. इसके अलावा, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, जिनकी बदले हाल ही में हिमंत बिस्वा सरमा को असम के सीएम के रूप में जगह दी गई थी. दोनों को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है, क्योंकि सिंधिया यूपीए सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं और सोनोवाल साल 2016 तक मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.
परफॉर्मेंस क्राइटेरिया
माना जा रहा है कि प्रदर्शन तमाम बेंचमार्क्स में से एक होगा. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को कोविड-19 की दूसरी लहर और वैक्सीन अभियान को लेकर विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ''स्वास्थ्य मंत्रालय पर निर्णय के लिए संतुलन की आवश्यकता होगी. संसद सत्र से पहले स्वास्थ्य मंत्री को बदलने को विपक्ष द्वारा अपराध स्वीकार करने के रूप में माना जाएगा.'' सूत्रों का कहना है कि प्रदर्शन को लेकर तीन मंत्री हैं, जिनपर पीएम मोदी की नजर है.
नए चेहरे को शामिल किए जाने की संभावना
सूत्रों का कहना है कि पीएम वित्त मंत्रालय में एक और जूनियर मंत्री ला सकते हैं. मोदी कैबिनेट में जिन नए चेहरों के आने की संभावना है, उनमें राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव (ओडिशा) का नाम चर्चा में है. 1994 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी के रूप में वैष्णव ने बतौर निजी सचिव दिवंगत पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में काम किया था. सूत्रों का कहना है कि ओडिशा से दूसरे संभावित मंत्री बैजयंत पांडा हो सकते हैं. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पांडा को विदेश मंत्रालय में जूनियर मंत्री के रूप में जगह मिल सकती है.
इसके अलावा, डॉ. प्रीतम गोपीनाथ राव मुंडे को भी जगह मिल सकती है, जोकि महाराष्ट्र में बीड निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार बीजेपी सांसद हैं. वह बीजेपी के स्वर्गीय नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. उन्होंने डॉ. डी वाई पाटिल मेडिकल कॉलेज से एमडी किया है. इसके अलावा, महाराष्ट्र के नारायण राणे भी जगह बना सकते हैं.
और किन नामों की है चर्चा?
वहीं, बीजेपी के राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव जोकि बिहार और गुजरात के पार्टी प्रभारी भी हैं, उनके नाम पर भी चर्चा है, लेकिन कुछ नेताओं का कहना है कि यह संभव है कि पीएम अपने एक प्रमुख संकटमोचक पर और बोझ न डालें. बीजेपी अध्यक्ष और पीलीभीत सांसद वरुण गांधी के बीच बैठक के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि तीन बार के सांसद को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
बिहार
लोक जनशक्ति पार्टी
चिराग पासवान ने चूंकि बिहार चुनाव से पहले अपनी पार्टी को एनडीए के से बाहर कर लिया था, इसलिए उनके पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद खाली हुई कैबिनेट की सीट उनके चाचा पशुपति पारस के पास जाने की संभावना है. चाचा पशुपति पारस ने चिराग के खिलाफ तख्तापलट का नेतृत्व किया और पिछले महीने लोकसभा अध्यक्ष ने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के रूप में अलग गुट को मान्यता दी.
जेडीयू
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जून के तीसरे हफ्ते में पीएम मोदी से मुलाकात की थी. सूत्रों का कहना है कि बिहार के महत्वपूर्ण सहयोगी को कैबिनेट में दो जगह मिलने की संभावना है. दो जेडीयू सांसद- राजीव रंजन (लल्लन) सिंह और राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य आर सी पी सिंह के नाम की चर्चा हो रही है. हालांकि, इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को नई कैबिनेट में जगह मिलेगी या नहीं.
उत्तर प्रदेश
सूत्रों का कहना है कि ओबीसी, एमबीसी और दलित वर्ग को संकेत देने की जरूरत है. अपना दल की अनुप्रिया पटेल जिन्हें 2019 से दरकिनार कर दिया गया है, उन्हें अपने लिए कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है.
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि प्रबल ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता की भी संभावना है और एक दलित नेता को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है.