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'महिला आरक्षण विधेयक 2024, 2029 और 2034 में भी लागू नहीं होगा,' बोले सिद्धारमैया

महिला आरक्षण विधेयक को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर महिलाओं को बिल के बहाने धोखा देने का आरोप लगाया. सिद्धारमैया ने कहा, विधेयक में इस बात की चिंता नहीं की गई है कि महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिए. सीएम ने पूछा, परिसीमन और जनगणना की बाधा के साथ बिल की उम्र 15 साल क्यों तय की गई है?

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कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया (फाइल फोटो)
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया (फाइल फोटो)

महिला आरक्षण बिल को संसद के दोनों सदन से मंजूरी मिल गई है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. उसके बाद जनगणना और परिसीमन का काम होगा. हालांकि, विपक्ष की मांग है कि इस विधेयक को तुरंत लागू किया जाना चाहिए. इसमें देरी होने को मुद्दा बनाया जा रहा है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है और कहा कि केंद्र ने परिसीमन और जनगणना ने खुद अड़ंगा डाल दिया है. इस कारण महिला आरक्षण लागू होना मुश्किल है.

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सीएम शनिवार को गांधी भवन में आयोजित महिला आरक्षण सेमिनार का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, अगर बीजेपी को महिलाओं को आरक्षण देने की सच में चिंता होती तो वो इतनी रुकावटें नहीं डालती. सीएम का कहना था कि महिला आरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने उम्र सीमा 15 साल तय की है. अधिनियम की वैधता इसके लागू होने की तिथि से 15 वर्ष है. यानी अब यह एक्ट लागू हो गया है और यह 15 साल तक लागू रहेगा. सरकार ने जनगणना और परिसीमन नाम की दो बाधाएं डाल दी हैं. इन बाधाओं को दूर करने में 15 साल लगेंगे. इस तरह इस बिल की मियाद लागू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी. 

'महिलाओं के साथ धोखा किया गया'

सिद्धारमैया ने कहा, यह महिलाओं के साथ किया गया सबसे बड़ा धोखा है. उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले अपने भाषण में कहा था कि भगवान ने मुझे महिलाओं के लिए आरक्षण लागू करने के लिए भेजा है, लेकिन यह महिलाओं के साथ किया गया धोखा है. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया और कहा, क्या भगवान ने उन्हें महिलाओं को धोखा देने के लिए भेजा है?

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'पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को भी मिले आरक्षण'

कर्नाटक के सीएम ने आगे कहा, महिला आरक्षण विधेयक का मसौदा कांग्रेस ने तैयार किया था. कांग्रेस हमेशा महिला आरक्षण और सामाजिक न्याय के पक्ष में रही है. मैं इस बात का पूर्ण समर्थन करता हूं कि महिला आरक्षण में पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण होना चाहिए. उन्होंने कहा, 33 प्रतिशत ही नहीं बल्कि 50 प्रतिशत आरक्षण को मेरा पूरा समर्थन है.

'तब तक कानून का मकसद खत्म हो जाएगा'

सिद्धारमैया का कहना था कि महिलाओं के लिए आरक्षण विधेयक के बारे में कहा जा रहा है कि इसे मोदी ने लागू किया है. मैं बताना चाहता हूं कि यह 2024 में भी लागू नहीं होगा. यह 2029 में भी लागू नहीं होगा. यह 2034 में भी लागू नहीं होगा. तब तक इस कानून का मकसद ही खत्म हो जायेगा. 

'झूठी वाहवाही ना लूटे बीजेपी सरकार'

सीएम ने महिला आरक्षण के पीछे बीजेपी की रणनीति के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा, शूद्रों की भांति स्त्रियां भी शिक्षा से पूर्णतः वंचित थीं. उनके संघर्ष और संविधान के परिणामस्वरूप शिक्षा के अवसर पैदा हुए. जब मौका मिला तो उन्होंने साबित किया कि महिलाएं शिक्षा में पुरुषों से आगे हैं. यह झूठा विश्वास ना करें कि महिला आरक्षण लागू हो गया है और झूठी वाहवाही ना करें. सीएम ने महिला आरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया. 

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कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षा विशेषज्ञ एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रो. मुजफ्फर असदी ने की. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रो. रवि वर्मा कुमार ने विषय पर प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में विधायक नयना मोटाम्मा, अधिवक्ता अश्विनी ओबलेश, पिछड़ा वर्ग महासंघ के नेता केएम रामचंद्रप्पा, दलित कार्यकर्ता मवल्ली शंकर, वकील एन अनंत नाइक, बीटी ललिता नाइक और चुक्की नंजुंदास्वामी उपस्थित रहे.

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