
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सूरत की अदालत ने दोषी माना है. ये मामला चार साल पुराना है. राहुल ने एक चुनावी रैली में 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी की थी. इसे लेकर उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था.
सीजेएम एचएच वर्मा इस मामले पर सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने पिछले हफ्ते अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. उन्होंने फैसला सुनाते हुए राहुल गांधी को दोषी करार दिया है. उन्हें दो साल जेल की सजा भी सुनाई गई है. हालांकि, अदालत से उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई.
जिस समय फैसला सुनाया जा रहा था, उस समय राहुल गांधी अदालत में ही मौजूद थे. इस फैसले के बाद राहुल गांधी ने महात्मा गांधी के एक कथन को शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन.'
वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'डरी हुई सत्ता साम, दाम, दांड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. मेरे भाई न कभी डरे हैं, न डरेंगे. सच बोलते हुए जिये हैं, सच बोलते रहेंगे. देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे.'
बहरहाल, राहुल गांधी को दोषी करार दिए जाने पर सियासत तेज हो गई है. उनकी संसद की सदस्यता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने बताया कि तीन महीने तक उनकी सदस्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी. अगर इसी बीच वो आगे अपील करते हैं तो ये कार्रवाई रुक जाएगी.
राहुल गांधी के खिलाफ कई सारे मामले दर्ज हैं. 'सारे मोदी चोर क्यों?' की टिप्पणी पर ही मानहानि का एक मामला रांची में भी चल रहा है. उन पर आरएसएस और सावरकर पर टिप्पणी करने पर भी मानहानि का केस दर्ज है. वहीं, नेशनल हेराल्ड मामले में तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की जांच जारी है.
वो मामले, जिनमें फंसे हैं राहुल
- 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी
क्या है मामलाः 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल गांधी ने 'मोदी सरनेम' पर विवादित टिप्पणी की थी. राहुल ने कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?'
किसने दर्ज कराया केसः बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
केस का स्टेटसः सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया. उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, अदालत से उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई.
- सावरकर पर टिप्पणी
क्या है मामलाः ये मामला पिछले साल दिसंबर का है. राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान विनायक दामोदर सावरकर पर कथित तौर पर विवादित टिप्पणी का आरोप है. उन पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर सावरकर को अंग्रेजों से पेंशन लेने वाला अंग्रेजों का नौकर बताया था.
किसने दर्ज कराया केसः एडवोकेट नृपेंद्र पांडेय ने लखनऊ की अदालत में ये केस दर्ज कराया था. उन्होंने आईपीसी की धारा 156(3) के तहत केस दर्ज कराया था.
केस का स्टेटसः एडवोकेट नृपेंद्र पांडेय ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की थी. हालांकि, अदालत ने पहले शिकायतकर्ता और उसके गवाहों की जांच करने का आदेश दिया है.
- KGF2 का गाना यूज करने का मामला
क्या है मामलाः ये मामला नवंबर 2022 का है. भारत जोड़ो यात्रा में KGF-2 का गाना इस्तेमाल करने के खिलाफ राहुल गांधी के अलावा जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत के खिलाफ ये केस दर्ज कराया गया था.
किसने दर्ज कराया केसः ये केस एमआरटी म्यूजिक कंपनी ने दर्ज कराया था. KGF-2 के म्यूजिक का कॉपीराइट इसी कंपनी के पास है. कंपनी का आरोप है कि बिना परमिशन के गानों का इस्तेमाल किया गया.
केस का स्टेटसः कॉपीराइट के इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था.
- 'मोदी सरनेम' पर झारखंड में केस
क्या है मामलाः ये भी वही कर्नाटक में चुनावी रैली के दौरान मोदी सरनेम पर की गई टिप्पणी से जुड़ा है. उस रैली में राहुल ने कहा था कि सारे चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
किसने दर्ज कराया केसः एडवोकेट प्रदीप मोदी ने रांची की जिला अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था. उन्होंने 20 करोड़ का दावा ठोका था.
केस का स्टेटसः रांची जिला अदालत में दर्ज मानहानि के इस मुकदमे को रद्द करवाने के लिए राहुल गांधी ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पिछले साल जुलाई में हाईकोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज कर दी थी.
- आरएसएस मानहानि मामला
क्या है मामलाः राहुल गांधी के खिलाफ ये मामला महाराष्ट्र के भिवंडी में चल रहा है. उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मानहानि करने का आरोप है. आरोप है कि 6 मार्च 2014 को चुनावी रैली ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के हत्या के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था, महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस के लोग थे.
किसने दर्ज कराया केसः भिवंडी के स्थानीय आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंते ने दर्ज कराया था. कुंते ने दलील दी थी कि राहुल गांधी के बयान से आरएसएस की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है.
केस का स्टेटसः 2018 में ठाणे की अदालत ने राहुल गांधी पर आरोप तय किए थे. ये मामला अब तक अदालत में चल रहा है.
वो केस, जिसमें सोनिया गांधी-राहुल गांधी भी फंसे
- नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी फंसे हुए हैं. इस केस की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी कर रही है. इस मामले में पिछले साल सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कई घंटों तक पूछताछ भी हुई थी.
- नेशनल हेराल्ड आजादी से पहले का अखबार है, जिसकी स्थापना 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने की थी. इस अखबार का मालिकाना हक 'एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड' यानी AJL के पास था. 1956 में एजेएल को गैर-व्यवसायिक कंपनी के रूप में बनाया और इसे टैक्स फ्री भी कर दिया.
- 2008 में एजेएल के सभी प्रकाशनों को बंद कर दिया गया. नेशनल हेराल्ड भी बंद हो गया. फिर कांग्रेस ने 'यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड' नाम से एक कंपनी बनाई. इस कंपनी के 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास हैं. बाकी की हिस्सेदारी कांग्रेस के दूसरे नेताओं के पास है.
- 2008 में जब एजेएल बंद हुई तब उस पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज भी था. यंग इंडिया ने एजेएल को 90 करोड़ का कर्ज दिया और उसका अधिग्रहण कर लिया.
- साल 2012 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने आरोप लगाया कि यंग इंडिया ने धोखाधड़ी से एजेएल का अधिग्रहण कर लिया. स्वामी ने आरोप लगाया कि इसका मकसद एजेएल की दो हजार करोड़ की संपत्ति को कब्जा करने की कोशिश की गई.
'चौकीदार चोर है' पर मांग ली थी माफी
2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने 'चौकीदार चोर है' का नारा दिया. राहुल ने फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में घोटाला होने का दावा किया था. साथ ही कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है.
राहुल गांधी के इस चौकीदार चोर है वाले बयान को लेकर मानहानि का केस दर्ज हुआ. हालांकि, बाद में राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर माफी मांग ली थी, जिसके बाद ये केस हटा दिया गया था.
राहुल ने अपने माफीनामे में कहा था, 'कोर्ट का अपमान करने की न तो मेरी कोई मंशा थी और न ही मैंने जानबूझकर ऐसा किया. मैं अदालत की न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचाना चाहता. भूलवश मुझसे ये गलती हुई. लिहाजा इसके लिए मैं माफी चाहता हूं.'