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'RSS मुख्यालय पर कब फहरेगा तिरंगा...', मोहन भागवत से अधीर रंजन चौधरी का सवाल

संघ प्रमुख मोहन भागवत पर अधीर रंजन चौधरी ने निशाना साधा है. अधीर ने भागवत से पूछा कि वे बताएं कि RSS मुख्यालय पर तिरंगा कब फहराया जाएगा. उन्होंने संघ पर आरोप भी लगाए.

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कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो)
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने निशाना साधा है. अधीर ने सवाल किया कि नागपुर स्थित संघ के मुख्यालय में तिरंगा झंडा क्यों नहीं फहराया जाता. बता दें कि इससे पहले बुधवार को ही भागवत ने इस पर बयान दिया था.

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मोहन भागवत से जुड़े सवाल पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि नागपुर में तिरंगा कब फहराया गया. अधीर ने आगे आरोप लगाया कि आज़ादी की जंग के दौरान RSS ने ब्रिटिश हूकूमत की दलाली की थी.

अधीर ने कहा, 'नागपुर हेडक्वार्टर पर तिरंगा कब फहरेगा ये भागवत बताएं. सब जानते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा. जब से देश आजाद हुआ तब से RSS की सोच थी कि भारत का झंडा भगवा होना चाहिए. तिरंगा उनकी पार्टी की सोच के बाहर है. '

लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'RSS वालों ने आजादी की जंग में हिस्सा नहीं लिया. इन्होंने अंग्रेजों की दलाली की थी. RSS ने आजादी की लड़ाई को कमजोर करना चाहा था. शहीदों के नामों में RSS से कोई नहीं है.'

भागवत ने क्या दिया था जवाब

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मोहन भागवत बुधवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. यहां भागवत से पूछा गया कि संघ मुख्यालय पर तिरंग क्यों नहीं फहराया जाता. इस सवाल पर भागवत ने एक किस्सा सुनाया.

वह बोले कि पहली बार ध्वज को फहराने में बाधा आई तब से अब तक स्वयंसेवक संघ इस ध्वज के सम्मान से जुड़ा हुआ है. संघ प्रमुख ने कहा कि हम लोग हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को जहां रहते हैं वहीं तिरंगा फहराते हैं. ये सवाल हमसे नहीं पूछा जाना चाहिए.

भागवत ने आगे कहा, 'स्वतंत्र भारत का झंडा तिरंगे रंग का होगा और कांग्रेस का झंडा भी तिरंगा रंग का होगा ये तय हुआ. उस वक्त एक मात्र बड़ी राजनीतिक संस्था कांग्रेस थी. 1933 में जलगांव के पास कांग्रेस का अधिवेशन हुआ. पहली बार 80 फीट ऊंचे खंभे पर जवाहरलाल नेहरू के हाथ में रस्सी देकर ध्वज फहराया गया लेकिन वह बीच में लटक गया. फिर एक जवान दौड़कर आया बांस पर 40 फीट ऊपर चढ़कर जवान ने झंडे को ठीक किया और फहराया.' 

भागवत ने आगे बताया कि वह जवान जब नीचे आया तो सबने उसकी जय-जयकार की. नेहरू ने उसकी पीठ थपथपाई और कहा कि कल अधिवेशन में आओ. तुम्हारा सार्वजनिक अभिनंदन करेंगे लेकिन कुछ लोगों ने उनको जाकर बताया कि यह संघ की शाखा में जाता है तब उसको नहीं बुलाया गया. भागवत ने आगे बताया कि इसके बारे में हेडगेवार (RSS के संस्थापक) को पता चल गया. फिर उन्होंने उस शख्स को पीतल का लोटा देकर सम्मान किया. भागवत ने बताया कि उस शख्स का नाम किशन सिंह राजपूत था, जिनका अभी सात साल पहले निधन हो गया. इसके बाद भागवत बोले कि RSS ध्वज के सम्मान में प्राण भी देने को तैयार है.

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