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केंद्र की मोदी सरकार ने लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम शुरू किए हैं. मोदी सरकार किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुना करने की बात कहती आई है. वहीं इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स की ओर से आयोजित मूड ऑफ द नेशन (MOTN) सर्वे में लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में क्या बदलाव आया है. मोदी राज में कैसा रहा आपका आर्थिक स्तर? इस सवाल पर 38 फीसदी लोगों ने कहा कि जैसा पहले था, वैसा अब भी, यानी जस का तस है.
आर्थिक स्तर के सवाल पर 49 फीसदी ने स्वीकार किया कि उनके हालात सुधरे हैं जबकि 12 फीसदी लोगों ने माना कि उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी है. आर्थिक स्तर को लेकर क्षेत्र, धर्म और जाति के हिसाब से भी अलग-अलग जवाब मिले. बातचीत के दौरान जवाब देने वाले जिन लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति खराब हुई है, उनके एक तिहाई मुस्लिम थे.
सर्वे के मुताबिक, 52 फीसदी हिन्दू लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है जबकि 38 हिन्दुओं ने इससे इनकार किया. वहीं सर्वे में हिस्सा लेने वाले 23 फीसदी मुस्लिम उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है जबकि 40 फीसदी ने बताया कि उनकी स्थिति जस की तस है और 36 प्रतिशत ने कहा कि हालात बिगड़े हैं.
जातियों के नजरिये में भी अंतर देखने को मिला. सर्वे में शामिल अपर कास्ट के 49 फीसदी लोग बोले कि उनके आर्थिक हालात सुधरे हैं जबकि 40 फीसदी अपर कास्ट ने माना कि उनकी स्थिति पहले की तरह ही है. 11 फीसदी बोले कि उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी है.
अनुसूचित जाति, जनजाति के 48 फीसदी लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है, 39 फीसदी ने कहा कि पहले की तरह ही उनकी स्थिति है. 13 प्रतिशत बोले कि उनके आर्थिक हालात बिगड़े हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग यानी 51 फीसदी ओबीसी ने माना कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है जबकि 37 प्रतिशत अन्य पिछड़े लोगों के हालात जस के तस हैं. 12 फीसदी ने कहा कि उनकी स्थिति पहले से बिगड़ी है.
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क्षेत्र के लिहाज से देखा जाए तो 50 फीसदी ग्रामीण लोगों ने माना कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, वहीं 48 फीसदी शहरी लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है. 39 प्रतिशत ग्रामीण लोगों ने कहा कि उनकी आर्थिक हालत पहले की ही तरह बनी हुई है. जबकि 38 फीसदी शहरी लोगों ने यही बात दोहरायी.