मोरबी पुल हादसे में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल दखल देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान कर रहा है. ऐसे में सभी याचिकाओं पर गुजरात हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. CJI चंद्रचूड़ ने कहा, मोरबी हादसे पर गुजरात हाई कोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है, आप वहां अपनी बात रखें. हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और अन्य किसी पीड़ित पक्ष को मामले पर सुप्रीम कोर्ट आने की अनुमति दी है.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि घटना की स्वतंत्र जांच के साथ हादसे से जुड़े सभी पहलुओं जैसे नगरपालिका अधिकारियों की जवाबदेही, अजंता मैन्युफैक्चरिंग के बड़े लोगों पर कार्रवाई, बढ़ा मुआवजा जैसे मुद्दों पर पहले हाई कोर्ट सुनवाई करेगा.
इससे पहले सोमवार को मोरबी पुल हादसे की कोर्ट की निगरानी में जांच और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई के लिए दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस की बेंच के सामने याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. इसमें राज्य सरकार, राज्य मानवाधिकार आयोग अन्य पक्षकार बनाए गए हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार की जांच और हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर अविश्वास का कोई कारण नहीं है.
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट मारे गए लोगों के परिजनों को समुचित मुआवजा और घायलों को पुनर्वास सुनिश्चित समेत तमाम मुद्दों पर सुनवाई जारी रखे. हम हाईकोर्ट से अपील करते हैं कि समयबद्ध तरीके से इसकी सुनवाई पूरी करे. हाईकोर्ट याचिकाकर्ताओं के मुद्दों को भी देखे और समयबद्ध तरीके से इसका समुचित निपटारा करे.
मोरबी हादसे में 134 लोगों की हुई मौत
गुजरात के मोरबी में मच्छुल नदी पर बना हैंगिंग ब्रिज टूट गया था. हादसे के वक्त इस पर 300-400 लोग मौजूद थे. सभी लोग नदी में गिर गए थे. हालांकि, इनमें से कुछ की जान बचा ली गई थी. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हुई है. चौंकाने वाली बात ये है कि ब्रिज हादसे से 5 दिन पहले ही 7 महीने की मरम्मत के बाद खोला गया था. साथ ही ब्रिज खोलने से पहले फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं लिया गया था. इस मामले में मरम्मत करने वाली कंपनी पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं.