
मोरबी ब्रिज हादसे के सभी 9 आरोपियों को बुधवार को स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान ब्रिज के मैनेजमेंट का ठेका लेने वाली कंपनी के मैनेजर दीपक पारेख ने हादसे को 'एक्ट ऑफ गॉड' यानी भगवान की इच्छा से हुआ हादसा करार दिया. दीपक पारेख उन 9 आरोपियों में से एक है, जिन्हें मोरबी ब्रिज हादसे के मामले में गिरफ्तार किया गया है. उधर, शिवसेना प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे लापरवाही करार देते हुए इरादतन धोखाधड़ी करार दिया.
ब्रिज हादसे के मामले में बुधवार को मोरबी की एक स्थानीय कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर समेत चार लोगों को शनिवार तक की पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. वहीं, 5 अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. पुलिस ने इन 5 आरोपियों की हिरासत की मांग नहीं की थी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान ब्रिज हादसे को लेकर तमाम ऐसे खुलासे हुए जो चौंकाने वाले हैं. सुनवाई के दौरान सामने आया है कि रेनोवेशन या मरम्मत के दौरान हैंगिंग ब्रिज के तार तक नहीं बदले गए थे.
कोर्ट में फॉरेसिंक रिपोर्ट का हुआ जिक्र
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम जे खान की कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रॉसिक्यूशन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि जिस कॉन्ट्रैक्टर ने ब्रिज की मरम्मत का ठेका लिया था, उसके पास कॉन्ट्रैक्ट लेने की भी योग्यता नहीं थी. यानी वह यह काम करने में सक्षम नहीं था. इतना ही नहीं कोर्ट में फॉरेंसिंक रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया. कोर्ट में बताया गया कि ब्रिज की मरम्मत के दौरान सिर्फ फ्लोर को चेंज किया गया. इस दौरान ब्रिज की केबल को चेंज नहीं किया गया. यह नए फ्लोर का वजन उठाने में भी सक्षम नहीं थी. एक्सपर्ट का मानना है कि नए फर्श के वजन की वजह से ब्रिज की केबल टूट गई.
यह जानबूझकर की गई धोखाधड़ी- शिवसेना सांसद
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा तंज कसा, तो यह भगवान की मर्जी थी. कॉन्ट्रैक्टर ने जंग लगी केबल को नहीं बदला. कॉन्ट्रैक्टर्स योग्य इंजीनियर नहीं थे. जो कॉन्ट्रैक्टर मरम्मत के काम को देख रहा था, वह इंजीनियर नहीं बल्कि कंपनी का मीडिया मैनेजर था. यह भगवान की मर्जी नहीं, जानबूझकर की गई धोखाधड़ी है.
वकीलों ने केस लड़ने से किया इंकार
मोरबी त्रासदी के बाद स्थानीय लोगों में भी नाराजगी है. घटना के खिलाफ स्थानीय वकीलों ने मूक प्रदर्शन मार्च निकाला. मोरबी बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित करके फैसला किया कि कोई भी वकील आरोपियों के लिए कोर्ट में पेश नहीं होगा. मोरबी के साथ-साथ राजकोट बार एसोसिएशन के वकील भी आरोपियों के लिए कोर्ट में जिरह नहीं करेंगे. वकीलों ने कहा इस घटना के खिलाफ यह हमारा विरोध है और अगर राजकोट या मोरबी के वकील आरोपियों के लिए अदालत में पेश होंगे तो हम उनका बार एसोसिएशन से बहिष्कार करेंगे. आरोपियों के लिए पेश होने वाले वकील को बार एसोसिएशन से निकाला जाएगा. हालांकि मोरबी और राजकोट से बाहर के वकीलों के खिलाफ कोई प्रदर्शन नहीं होगा. आरोपियों के लिए बाहर से वकील आने पर कोई विरोध नहीं किया जाएगा.
अब तक 135 की मौत
गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना केबिल ब्रिज रविवार शाम को टूट गया था. मोरबी ब्रिज हादसे में अब तक 135 लोगों की मौत हो गई. हादसे के वक्त ब्रिज पर काफी भीड़ थी. आलम यह था कि 100 लोगों की क्षमता वाले इस पुल पर 300-400 लोग थे. इस हादसे के बाद से प्रशासन और ब्रिज की मरम्मत करने वाली कंपनी पर सवाल उठ रहे हैं. पुलिस ने इस मामले में कंपनी पर मामला दर्ज किया था. इस मामले में एसआईटी जांच कर रही है.
अब तक 9 लोग हुए गिरफ्तार
कोर्ट ने ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर और दो सब कॉन्ट्रैक्टर्स, जिन्होंने ब्रिज को रिपेयर कराया था, उन्हें शनिवार तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. पुलिस ने इस मामले में 9 लोगों को धारा 304 यानी गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था.