कोरोना महामारी के साथ-साथ अब एक और बीमारी ब्लैक फंगस चिंता बढ़ाती जा रही है. कई राज्यों में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया जा चुका है. कर्नाटक में भी अब तक 300 से ज्यादा ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस के मामले सामने आ चुके हैं. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने बताया कि 300 से ज्यादा मामले सामने आने के बाद सभी जिला अस्पतालों को म्यूकर माइकोसिस के इलाज के लिए तैयार किया गया है.
मीडिया से बात करते हुए डॉ. सुधाकर ने बताया कि अभी तक राज्य में ब्लैक फंगस के 300 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. केंद्र की तरफ से हमें एम्फोटेरिसीन-बी की 1,150 वॉयल मिल चुकी हैं. हमने 20 हजार वॉयल मांगी थी. उन्होंने बताया कि सभी जिला अस्पतालों समेत 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए तैयार किया जा चुका है.
उन्होंने बताया कि पहले सालभर में पूरे देश में इस बीमारी के 200 से 300 मामले सामने आते थे, लेकिन अब अकेले हमारे राज्य में ही 300 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. उन्होंने आशंका जताई है कि ऐसा दवा की कमी की वजह से भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि अभी 1,150 वॉयल मिल चुकी है और अगले एक-दो दिन में एक हजार वॉयल और मिल जाएंगी.
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उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस फैलने के कारणों का पता लगाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ह्यूमिडीफायर (नमी दूर करने वाली मशीन) में गंदे पानी के इस्तेमाल, स्टेरॉइड के ज्यादा इस्तेमाल, लंबे वक्त तक एक ही मास्क पहनना, ट्यूब, बेड्स आदि संक्रमण फैलने के प्राइमरी सोर्स हैं. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ब्लैक फंगस के संक्रमण को रोकने के लिए कोविड अस्पतालों में चल रहे कंस्ट्रक्शन वर्क को तुरंत रोक देना चाहिए. साथ ही आईसीयू वार्ड में बाहरी लोगों के आने की भी मनाही होनी चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोविड से ठीक होने के बाद लगातार ENT यानी नाक, कान, गले का चेकअप कराना है. उन्होंने बताया कि तीसरे, 7वें और 21वें दिन चेकअप कराना चाहिए.