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म्यांमार बॉर्डर पर बड़े एरिया में फेंसिंग नहीं, बेरोकटोक एंट्री... मणिपुर में घुसपैठियों ने बढ़ाई टेंशन?

मणिपुर का मोरेह शहर म्यांमार के साथ रिश्तों को लेकर बेहद अहम है. इसी शहर से होते हुए लोग म्यांमार जाते हैं. अब मणिपुर में जारी हिंसा ने इस गांव को भी चपेट में ले लिया है. बुधवार यानी 26 जुलाई को सशस्त्र हमलावरों के एक ग्रुप ने मोरेह में 30-40 से ज्यादा घरों और दुकानों में आग लगा दी. आगजनी और हमले की सूचना मिलते ही सुरक्षा बल पहुंचा और तुरंत वहां से हमलावरों को भगा दिया.

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भारत-म्यामांर बॉर्डर के मोरेह टाउन से ग्राउंड रिपोर्ट.
भारत-म्यामांर बॉर्डर के मोरेह टाउन से ग्राउंड रिपोर्ट.

म्यामांर बॉर्डर के नजदीक मोरेह में 26 जुलाई को एक बार फिर हिंसा हुई. यहां सशस्त्र हमलावरों के एक ग्रुप ने 30 से 40 घर दोबारा जला दिए हैं. कई घरों में तोड़फोड़ की गई. ये घर मोरेह में मैतेई समुदाय से जुड़े लोगों के हैं. यहां तक कि होटल को भी पूरी तरीके से जलाकर राख कर दिया गया. यहां हिंसा के बाद अधिकांश लोगों ने अपने घर और दुकानें छोड़ दी थीं. बाद में असम रायफल ने एक्शन लिया और हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की. इससे पहले भी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया था. आजतक की टीम भारत-म्यामांर बॉर्डर के मोरेह टाउन पहुंची और असम रायफल के साथ वर्तमान में ग्राउंड जीरो से हालात जाने.

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बता दें कि मणिपुर हिंसा को लेकर संसद से लेकर सड़क तक लगातार हंगामा देखने को मिल रहा है. इस बीच, सवाल ये उठे कि बॉर्डर स्टेट होने के चलते यहां अवैध रूप से घुसपैठियों की एंट्री हो रही है. पिछले दिनों असम राइफल्स ने मणिपुर में 718 शरणार्थियों के घुसपैठ की रिपोर्ट की है. दरअसल, म्यांमार बॉर्डर पर सिर्फ 10 किलोमीटर ही फेंसिंग अभी तक लगी है. बाकी पूरे बॉर्डर पर अभी फेंसिंग नहीं लगी है. बॉर्डर पर जमीनी हालत क्या हैं, जानिए इस रिपोर्ट में...

बॉर्डर पर सिर्फ 10KM की फेंसिंग...

जातीय हिंसा को देखते हुए मणिपुर की राजधानी इंफाल से 110 किमी दक्षिण में मोरेह शहर पड़ता है. ये इलाका सागांग क्षेत्र में म्यांमार के सबसे बड़े सीमावर्ती शहर तामू से सिर्फ चार किमी पश्चिम में स्थित है. मणिपुर हिंसा के बाद असम रायफल पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे अवैध घुसपैठ हो रही है. आजतक ने भारत-म्यांमार बॉर्डर पर असम रायफल की निगरानी पोस्ट से ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है. असम रायफल के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि इंडो-म्यांमार बॉर्डर पर सिर्फ 10 किलोमीटर की फेंसिंग हुई है. बाकी 80 किलोमीटर का प्रोसेस शुरू किया जा रहा है. मणिपुर में म्यामांर बॉर्डर करीब 398 किलोमीटर लंबा है, जहां से अवैध घुसपैठ भी होती है.

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बवाल के बीच मणिपुर में बड़ी घुसपैठ, म्यांमार के 700 नागरिक अवैध रूप से हुए दाखिल

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बॉर्डर पर सेंधमारी... बेरोकटोक एंट्री?

बॉर्डर के बड़े एरिया में अभी फेंसिंग नहीं है. बॉर्डर पोरस है, इसलिए यहां से कोई भी आ-जा सकता है. इसका फायदा इंसर्जेंट ग्रुप और अवैध घुसपैठिये करते हैं. हाल ही में 718 म्यामांर के नागरिक घुस आए थे, जिनका बायोमेट्रिक तैयार कर उनको वापस भेजने की तैयारी है.

म्यांमार से मणिपुर आने के नियम भी आसान

फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) के तहत पहाड़ी जनजातियों का प्रत्येक सदस्य जो या तो भारत का नागरिक है या म्यांमार का नागरिक है और जो भारत-म्यांमार सीमा (IMB) के दोनों ओर 16 किमी के भीतर किसी भी क्षेत्र का निवासी है, ये भारत- म्यांमार सीमा पार कर सकते हैं. सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी सीमा पास (एक वर्ष की वैधता) होने पर वह प्रति यात्रा दो सप्ताह तक रह सकता है. पिछले कुछ वर्षों से म्यामांर में आंतरिक स्थिति काफी खराब है, इसलिए यहां से आना-जाना नहीं है. इस बीच, अज्ञात लोगों ने भारत-म्यांमार बॉर्डर के फ्रेंडशिप गेट को भी नहीं छोड़ा है, इसे तोड़ दिया गया है. मोरेह की दुकानों को भी जला दिया है.

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कुकी समुदाय कर रहा अलग प्रशासन की मांग

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वहीं, म्यांमार बॉर्डर जाते समय टेगनोपाल जिले के हेड क्वार्टर में कुकी समुदाय के लोग हर रोज सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सुरक्षा बलों की गाड़ियों तक तो इनकी तरफ से रोका जाता है. इन लोगों का कहना है कि हमारे लिए अलग प्रशासन की व्यवस्था की जाए. जब तक मांग पूरी नहीं होगी. सड़क को ब्लॉक करते रहेंगे. मोरेह जाने वाले रोड पर किसी को जाने की इजाजत नहीं है.

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मणिपुर सरकार भी जता चुका है घुसपैठ पर चिंता

इससे पहले मणिपुर सरकार ने भी घुसपैठ पर चिंता जाहिर की थी और इसे संवेदनशील बताया था. राज्य सरकार ने असम राइफल्स अथॉरिटी से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. सरकार ने पूछा है कि म्यामांर के नागरिकों को चंदेल जिले में प्रवेश करने की अनुमति क्यों और कैसे दी गई है? सरकार ने उन्हें तुरंत वापस भेजने की सलाह भी दी है. इसके साथ ही चंदेल जिले के एसपी और डिप्टी कमिश्वर को भी निगरानी रखने के साथ बायोमेट्रिक्स रखने की की सलाह दी गई है.

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मणिपुर में 3 मई से हिंसा, 150 से ज्यादा मौतें

मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. यहां हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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