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मध्य प्रदेश के परमाणु रिएक्टर्स में आ रही क्या दिक्कत? सरकार ने संसद में दी ये जानकारी

संसद के चालू बजट सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में सदस्यों ने परमाणु ऊर्जा को लेकर प्रश्न पूछे. प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने ये जानकारी दी कि मध्य प्रदेश के परमाणु रिएक्टर्स में क्या दिक्कत आ रही है. 

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केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में बुधवार को प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान मध्य प्रदेश की मांडला लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने परमाणु रिएक्टर्स को लेकर सवाल पूछे. बीजेपी सांसद ने कहा कि मध्य प्रदेश में एक ही परमाणु रिएक्टर स्वीकृत हुआ है. वह है छोटका पाठा जो मेरे संसदीय क्षेत्र में है. जिस गति से काम होना चाहिए, नहीं हो रहा है. मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि काम की गति कितनी जल्दी बढ़ेगी जिससे इस काम को हम पूरा कर सकें. इसका जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने दिया.

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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में हमारे दो रिएक्टर्स हैं जो योजना में हैं. एक तो चोटकी का जिसमें एनवायरनमेंट क्लीयरेंस आदि की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है. रिसेटलमेंट और रिहैबिलिटेशन को लेकर वहां के लोगों को थोड़ी सी दिक्कतें हो रही थीं. डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसे लेकर मुख्यमंत्री से संपर्क किया गया था. सीएम ने इसके लिए वहां के जिलाधिकारी और कुछ अधिकारियों की एक टीम बनाई जो मौके पर गई थी. उन्होंने कहा कि इस टीम ने हमें सुझाव दिए. शायद कुछ और राशि अपेक्षित रहेगी. उसकी बात हो चुकी है और बहुत जल्द हम शुरू कर देंगे.

पीएमओ में राज्यमंत्री डॉक्टर सिंह ने कहा कि दूसरा रिएक्टर शिवपुरी में है. उसमें हमें पानी को लेकर थोड़ी दिक्कत आ रही है. उन्होंने ये जानकारी दी कि मुख्यमंत्री ने इसके लिए भी एक समिति को जिम्मेदारी दी है. जैसे ही वहां पर पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो जाएगी, हम इसको भी शुरू करेंगे. डॉक्टर सिंह ने कहा कि तीसरा जो इनका क्षेत्र है खंडवा का, जिस तरह से न्यूक्लियर मिशन के तहत परमाणु रिएक्टर्स का देशभर में विस्तार हो रहा है. हो सकता है कि एक समय आए जब खंडवा का नाम भी सूची में शामिल हो जाए.

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2014 के मुकाबले 170 फीसदी बढ़ा न्यूक्लियर बजट

इससे पहले, राजस्थान के सीकर से सीपीआई (एम) के सांसद अमराराम ने अपने संसदीय क्षेत्र में मिले यूरेनियम भंडार का उल्लेख करते हुए ये पूछा कि यहां खनन कब तक शुरू हो जाएगा और परमाणु रिएक्टर में कार्यरत कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर क्या असर हुआ है? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि सबसे अधिक संख्या में कहीं रिएक्टर हैं तो राजस्थान में हैं. देशभर में कुल 25 में से सात रिएक्टर राजस्थान में हैं और इनमें से एक जो फंक्शनल नहीं था, वो भी अब फंक्शनल हो गया है.

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उन्होंने ये भी कहा कि न केवल रिएक्टर्स की संख्या बढ़ी है, बल्कि उन क्षेत्रों में भी इन्हें स्थापित करने का काम शुरू हुआ है जहां ये पहले नहीं थे. हरियाणा में भी रिएक्टर स्थापित होने वाला है. डॉक्टर सिंह ने कहा कि 2017 की एक ही कैबिनेट मीटिंग में एक साथ 10 रिएक्टर्स की स्थापना को मंजूरी दी गई थी. इसी बजट में न्यूक्लियर मिशन के लिए भी राशि आवंटित की गई है. उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा का बजट 2014 के पहले कम हुआ करता था और उसके मुकाबले इस बजट में 170 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसी बजट में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने का फैसला लिया गया है.

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2014 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा बढ़ी परमाणु ऊर्जा क्षमता

डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि साल 2014 के मुकाबले हमारी परमाणु ऊर्जा क्षमता दोगुने से अधिक बढ़ी है. न्यूक्लियर मिशन के तहत स्मॉल मॉड्यूल रिएक्टर का फैसला लिया गया है. उन्होंने सेफ्टी फर्स्ट, प्रोडक्शन नेक्स्ट को अपना मूल मंत्र बताते हुए कहा कि कर्मचारियों का स्वास्थ्य परीक्षण निर्माण कार्य के दौरान हर तीन महीने बाद, रिएक्टर के फंक्शनल होने पर हर छह महीने बाद किया जाता है. डॉक्टर सिंह ने ये भी कहा कि जहां तक आम लोगों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के कारण पड़ने वाले दुष्प्रभाव की बात है तो इन इलाकों में रहने वाले लोगों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. रेडिएशन में गिरावट आई है.

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सीकर में कब तक शुरू होगा यूरेनियम खनन?

सीकर में मिले यूरेनियम भंडार से खनन को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि एनवायरनमेंट क्लीयरेंस के चरण में है. हम राजस्थान सरकार के संपर्क में हैं. टीआर बालू ने तमिलनाडु के प्लांट्स में न्यूक्लियर वेस्ट डिस्पोजल को लेकर सवाल किया. इसके जवाब में डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि कुंडाकुलम और कलपक्कम के परमाणु संयंत्रों में भी हर रिएक्टर की तरह वेस्ट डिस्पोजल से संबंधित सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. उन्होंने सदन में ये भी जानकारी दी कि हर साल थ्रेसहोल्ड में गिरावट आ रही है.

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