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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED ने तीसरा नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है. वहीं, इसी बीच अब दिल्ली में दवा घोटाले को लेकर भी LG की ओर से सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है. इसके बाद अरविंद केजरीवाल पर बीजेपी नेता और ज्यादा हमलावर हो गए हैं.
दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों की मौत का सौदा किया है. नकली दवाइयां सप्लाई की गई है. सब कुछ जांच में सामने आएगा कब तक केजरीवाल भागेंगे? अगर शराब घोटाला में कुछ गलत नहीं है, तो उनके नेताओं को बेल क्यों नहीं मिल रही है? क्यों बार-बार बेल खारिज हो रही है?
मैं खुद नहीं कर सकता दवाओं की जांच - स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज
उधर, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘मैं खुद दवाओं की जांच नहीं कर सकता हूं. मैं सिर्फ निर्देश दे सकता हूं और मैंने वह दिया है. मैंने कहा है कि एक अधिकारी अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है और उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन केंद्र ऐसा करने को तैयार नहीं है.'
उन्होंने आगे कहा, 'एक महीना हो गया है और मैंने एलजी को पत्र लिखा है, लेकिन उन्हें जांच करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर गलत दवाएं आ रही हैं और लोगों की जान खतरे में है, तो वह व्यक्ति अभी भी अपनी सीट पर क्यों है? उसे अब तक हटा देना चाहिए था...’ बताते चलें कि उन्होंने 23 अक्टूबर 2023 को स्वास्थ्य सचिव और डीजीएचएस को निलंबित करने करने के लिए उपराज्यपाल को खत लिखा था.
दिल्ली में 100 करोड़ से ज्यादा का हुआ घोटाला- सांसद बिधूड़ी
दक्षिणी दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में अब 100 करोड़ रुपए का दावा घोटाला हुआ है. मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पताल का जो 100 करोड़ का बजट दवा सप्लाई करने के लिए था, वह अपने चहते लोगों को टेंडर दिया गया और नकली दवाइयां सप्लाई की गई.
बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल लोगों के जान का सौदा कर रहा था. दिल्ली में मौत बांटी जा रही थी. मोहल्ला क्लीनिक में पैरासिटामोल भी नकली सप्लाई की गई. दिल्ली के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
देखिए क्या बोले बिधूड़ी...
दिल्ली के अस्पतालों में दी जा रहीं नकली दवाएं- एलजी वीके सक्सेना
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा रही खराब गुणवत्ता की दवाओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की सिफारिश की है. उन्होंने इस बारे में मुख्य सचिव को एक पत्र भी लिखा है. इसमें कहा गया है कि निजी और सरकारी लैब में टेस्ट की गई दवाएं अच्छी गुणवत्ता की नहीं निकलीं. यह चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा कि ये दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीजों को दी जा रही हैं और संभवत: मोहल्ला क्लीनिकों में भी इनकी आपूर्ति की जा रही है. वीके सक्सेना ने आरोप लगाया कि इसमें अन्य राज्यों के आपूर्तिकर्ता और निर्माता शामिल हैं.
पत्र में सतर्कता निदेशालय की एक रिपोर्ट का हवाला भी उन्होंने दिया है. सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे गए 43 नमूनों में से 3 गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे, जबकि 12 की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. निजी प्रयोगशालाओं को भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से पांच नमूने गुणवत्ता मानकों का पालन करने में विफल रहे और 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए.
इन दवाओं के सैंपल लैब टेस्ट में हो गए फेल
एम्लोडिपाइन, लेवेटिरासेटम, पैंटोप्राजोल, सेफैलेक्सिन और डेक्सामेथासोन दवाएं सरकारी और प्राइवेट दोनों लैब में गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं. 11 अन्य दवाओं के सैंपल की रिपोर्ट अब भी चंडीगढ़ की सरकारी लैब में पेंडिंग है. सतर्कता विभाग ने सिफारिश की है कि चूंकि 10 प्रतिशत से अधिक नमूने गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे हैं, इसलिए नमूना लेने का दायरा बढ़ाया जाएगा.