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Explained: क्या है MUDA स्कैम? जिसे लेकर कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ चलेगा केस

MUDA में अनियमितता का यह मामला बीते महीने जुलाई की शुरुआत में सामने आया था. 1 जुलाई को आईएएस अधिकारी वेंकटचलपति आर के नेतृत्व में जांच के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि MUDA की जमीन आवंटन में अनियमितताओं को लेकर शक है.

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया MUDA मामले में घिर गए हैं
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया MUDA मामले में घिर गए हैं

कर्नाटक में सीएम सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में चौतरफा घिर गए हैं और अब उनके खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने केस चलाने की इजाजत दे दी है. मसला जमीन के एक टुकड़े का है, जिसकी नाप 3.14 एकड़ है जो उनकी पत्नी पार्वती के नाम है. बीजेपी इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर लगातार हमलावर है और उन्होंने सीएम सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है.

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दूसरी ओर सिद्धारमैया ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया है. उनका कहना है कि वह इसे कानूनी रूप से चुनौती देंगे. उन्‍होंने कहा क‍ि राज्‍यपाल इस सरकार को बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं और हटाने की कोशिश कर रहे हैं. 

अब सवाल ये है कि जमीन का ये मामला क्या है,  MUDA क्या है और यह इसमें कैसे शामिल हैं. इसके अलावा सीएम सिद्धारमैया तक भ्रष्टाचार की ये आंच कैसे पहुंची और किसने ये मुद्दा उठाया. इन सभी सवालों पर बारीकी से नजर डालते हुए जानते हैं जरूरी सवालों के जवाब 

सबसे पहले MUDA क्या है?
 मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में MUDA कहते हैं. मैसूर शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था यानी कि ऑटोनॉमस बॉडी है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है. मामला जमीन घोटाले का है, इसलिए MUDA का नाम इस मामले में शुरू से जुड़ता आ रहा है. शुरू यानी कि 2004 से. यह मामला MUDA की ओर से उस समय मुआवजे के तौर पर जमीन के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं. इससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है. इस मामले में MUDA और राजस्व विभाग के आला अधिकारियों के नाम भी सामने आये हैं. 

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क्या है मामला?
मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी. उसे प्रक्रिया के तहत कृषि भूमि से अलग किया गया था, लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को वापस कर दिया था. इस तरह से यह जमीन एक बार फिर कृषि जमीन बन गई. यहां तक सब ठीक था. अब विवाद की शुरुआत हुई साल 2004 से, इस दौरान सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई बी एम मल्लिकार्जुन ने साल 2004 में इसी जमीन में 3.16 एकड़ जमीन खरीदी. इस दौरान यहां 2004-05 में कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार थी और तब सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे. इसी दौरान सामने आया कि इसी जमीन को एक बार फिर से कृषि की भूमि से अलग किया गया था, लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक लेने के लिए सिद्धरमैया फैमिली पहुंची तब तक वहां लेआउट विकसित हो चुका था.

क्या है सीएम सिद्धारमैया का दावा?
सीएम सिद्धारमैया का भी यही दावा है कि, जमीन का यह टुकड़ा, जिसके लिए उनकी पत्नी को मुआवजा मिला था, वह उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 1998 में गिफ्ट की थी, लेकिन RTI कार्यकर्ता कृष्णा ने आरोप लगाया कि मल्लिकार्जुन ने इसे 2004 में अवैध रूप से हासिल किया था और सरकारी और राजस्व अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके इसे रजिस्टर्ड कराया था. जमीन को 1998 में खरीदा गया दिखाया गया था, 2014 में जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे, तब  उनकी पत्नी पार्वती ने इस जमीन के लिए मुआवजे की मांग की थी.

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सिद्धारमैया यह भी कहते हैं कि उनकी पत्नी को उस समय मुआवजा दिया गया था जब बीजेपी सत्ता में थी और यह उनका अधिकार था. उन्होंने कहा कि भाजपा के ही लोगों ने उन्हें साइट दी है, अब अगर वे इसे अवैध कहते हैं, तो किसी को कैसे जवाब देना चाहिए?

कब सामने आया गड़बड़ी का मामला?
MUDA में अनियमितता का यह मामला बीते महीने जुलाई की शुरुआत में सामने आया था. 1 जुलाई को आईएएस अधिकारी वेंकटचलपति आर के नेतृत्व में जांच के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि MUDA की जमीन आवंटन में अनियमितताओं को लेकर शक है, यह जमीनें पात्र लाभार्थियों को देने के बजाय, प्रभावशाली लोगों को आवंटित कर दी गई थीं. राज्य में कथित घोटाले के मामले सामने आने के बाद, कर्नाटक के नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती भी इसी तरह लाभार्थी बनी हैं और उन्हें भी नियमों का उल्लंघन करते हुए एक वैकल्पिक साइट दी गई.

इस पूरे मामले में MUDA कैसे शामिल हुई?
MUDA शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी. 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार बन गए थे. यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी और साल 2020 में तबकी भाजपा सरकार ने बंद कर दिया था. योजना बंद होने के बावजूद MUDA  ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा. यही मूल विवाद है, आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया.

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ये हैं आरोप
आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3.16 एकड़ जमीन MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई. इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं. मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी. आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी.

मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं. यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था. जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं. विपक्ष मुखर होकर कह रहा है कि पार्वती को MUDA द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है.

कार्यकर्ता टीजे अब्राहम
कार्यकर्ता टीजे अब्राहम

किन्होंने लगाए आरोप?
इस पूरे मामले को तीन कार्यकर्ताओं प्रदीप कुमार, टीजे अब्राहम और स्नेहमायी कृष्णा ने उठाया था. उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अब्राहम ने राज्यपाल को दी अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इस बड़े घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है और उनसे मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अनुरोध किया था.

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जुलाई में उन्होंने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत की थी कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में 14 साइटों का आवंटन अवैध था. सिद्धारमैया के अलावा शिकायत में उनकी पत्नी, बेटे एस यतींद्र और MUDA के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी थे. इसके अला्वा कार्यकर्ता स्नेहमायी कृष्णा ने भी इस भूमि घोटाले में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और MUDA और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप लगाए हैं.

 

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