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जमीन, स्कैम और CM की मुश्किल... कहां है वो 3.16 एकड़ जमीन जिसपर घिरे हैं सिद्धारमैया?

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में MUDA कहते हैं. मैसूर शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है.

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MUDA मामले में घिरे कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया.
MUDA मामले में घिरे कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया.

कथित MUDA स्कैम को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सवालों के घेरे में हैं. अब उनके खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने केस चलाने की इजाजत भी दे दी है. पूरा मामला 3.16 एकड़ जमीन से जुड़ा हुआ है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर ये जमीन कहां हैं और क्यों इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

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क्या है MUDA स्कैम और कहां है इसकी विवादित जमीन

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में MUDA कहते हैं. मैसूर शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है. दरअसल, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसूर जिले के केसरू गांव में तीन एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी. कहा जाता है कि ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें गिफ्ट में दी थी. इस जमीन को MUDA ने अधिग्रहित किया था और इस जमीन के बदले पार्वती को 2021 में विजयनगर क्षेत्र में कुल 38,283 वर्ग फीट के करीब 14 प्लॉट दिए गए थे.  विवाद ये है कि जो प्लॉट सीएम की पत्नी को दिए गए हैं वह दक्षिण मैसूर के एक पॉश इलाके विजयनगर में है. वहीं,  प्लॉट का बाजार मूल्य केसरू में उनकी मूल जमीन से बहुत ज्यादा है. 

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आसान भाषा में समझें तो केसरू की जिस जमीन के बदले सीएम की पत्नी को विजयनगर में प्लॉट दिया गया उसकी कीमत उनकी जमीन से बहुत ज्यादा है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि साजिशन सीएम ने अपनी पत्नी को पॉश इलाके में इस स्कीम के तहत जमीन दिलवाई, जिसके चलते करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है.

अब जानें क्या है पूरा मामला और कैसे शुरू हुआ विवाद

रिपोर्ट के अनुसार, मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी. उसे प्रक्रिया के तहत कृषि भूमि से अलग किया गया था, लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को वापस कर दिया था. इस तरह से यह जमीन एक बार फिर कृषि जमीन बन गई. 

यहां तक सब ठीक था. अब विवाद की शुरुआत हुई साल 2004 से, इस दौरान सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई बी एम मल्लिकार्जुन ने साल 2004 में इसी जमीन में 3.16 एकड़ जमीन खरीदी. इस दौरान यहां 2004-05 में कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन की सरकार थी और तब सिद्धारमैया डिप्टी सीएम थे. इसी दौरान सामने आया कि इसी जमीन को एक बार फिर से कृषि की भूमि से अलग किया गया था, लेकिन जब जमीन का मालिकाना हक लेने के लिए सिद्धरमैया फैमिली पहुंची तब तक वहां लेआउट विकसित हो चुका था.

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कब सामने आया गड़बड़ी का मामला? 

MUDA में अनियमितता का यह मामला बीते महीने जुलाई की शुरुआत में सामने आया था. 1 जुलाई को आईएएस अधिकारी वेंकटचलपति आर के नेतृत्व में जांच के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि MUDA की जमीन आवंटन में अनियमितताओं को लेकर शक है, यह जमीनें पात्र लाभार्थियों को देने के बजाय, प्रभावशाली लोगों को आवंटित कर दी गई थीं. राज्य में कथित घोटाले के मामले सामने आने के बाद, कर्नाटक के नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती भी इसी तरह लाभार्थी बनी हैं और उन्हें भी नियमों का उल्लंघन करते हुए एक वैकल्पिक साइट दी गई. 

यह भी पढ़ें: 'सिद्धारमैया के इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं...', MUDA स्कैम केस में घिरे कर्नाटक CM को मिला डीके शिवकुमार का साथ

इस पूरे मामले में MUDA कैसे शामिल हुई? 

MUDA शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी. 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार बन गए थे. यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी और साल 2020 में तबकी भाजपा सरकार ने बंद कर दिया था. योजना बंद होने के बावजूद MUDA ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा. यही मूल विवाद है, आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया.

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ये हैं आरोप 

आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3.16 एकड़ जमीन MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई. इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं. विपक्ष मुखर होकर कह रहा है कि पार्वती को MUDA द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है.

किन्होंने लगाए आरोप? 

इस पूरे मामले को तीन कार्यकर्ताओं प्रदीप कुमार, टीजे अब्राहम और स्नेहमायी कृष्णा ने उठाया था. उन्होंने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अब्राहम ने राज्यपाल को दी अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इस बड़े घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है और उनसे मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अनुरोध किया था. 

जांच के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे सिद्धारमैया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के फैसले के खिलाफ सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई आज दोपहर 2:30 बजे तय की है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश होंगे.

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