scorecardresearch
 

जब LMG केस में मुलायम ने मुख्तार अंसारी को बचाया था, पुलिस अफसर ने सुनाया वो किस्सा

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसकी जिंदगी का हिस्सा रहे राजनीति और माफिया के किस्से एक बार फिर सामने आ रहे है. इनमें एक बेहद अहम किस्सा है, जब मुख्तार अंसार सेना की चोरी हुई लाइट मशीन गन यानी एलएमजी खरीदना चाहता था. इस किस्से से सीधे तौर पर जुड़े थे पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह. उन्होंने आजतक से खास बातचीत की.

Advertisement
X
मुख्तार अंसारी की इलाज के दौरान मौत, फाइल फोटो
मुख्तार अंसारी की इलाज के दौरान मौत, फाइल फोटो

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गया है. गुरुवार रात करीब साढ़े 8 बजे मुख्तार की जेल में तबीयत बिगड़ी थी. मुख्तार को उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था. तुरंत ही 9 डॉक्टर्स की टीम तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई गई, लेकिन डॉक्टरों के काफी प्रयास के बाद कार्डियक अरेस्ट से मुख्तार की मौत हो गई.

Advertisement

मुख्तार और सेना की एलएमजी का किस्सा 
रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसकी जिंदगी का हिस्सा रहे राजनीति और माफिया के किस्से एक बार फिर सामने आ रहे है. इनमें एक बेहद अहम किस्सा है, जब मुख्तार अंसार सेना की चोरी हुई लाइट मशीन गन यानी एलएमजी खरीदना चाहता था. इस किस्से से सीधे तौर पर जुड़े थे पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह. उन्होंने आजतक से हुई खास बातचीत में इस किस्से को एक बार फिर दोहराया. 

'अंत समय में सामने आते हैं पाप'
उन्होंने मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर कहा कि, जिस तरीके की खबरें आ रही थीं कि मुख्तार अंसारी डरे हुए हैं, वह कोर्ट से अपने बचाव आदि की गुहार लगा रहे हैं और फिर उनकी मौत हो गई, तो ऐसा है कि आदमी अपने अंत समय में डर जाता है, उसके पाप उसके सामने आते हैं तो उसी डर की की वजह से उन्हें ये अटैक आया है. आपके कर्म आपके सामने आते ही हैं, और कुछ गलत किया हुआ होता है तो उसकी हाय का नतीजा सामने आता ही है.  

Advertisement

2004 की वो घटना
चोरी की एलएमजी डील वाली घटना का जिक्र करते हुए शैलेंद्र बताते हैं कि, 'जनवरी 2004 की बात है. तब वह वाराणसी में एसटीएफ चीफ थे. शासन-प्रशासन के अनुमति से फोन सुनने होते थे. इसी दौरान सामने आया कि, मुख्तार अंसारी आर्मी के किसी भगोड़े से लाइट मशीन गन खरीदना चाहता है. अंसारी इसे खरीदना इसलिए चाहता था कि क्योंकि वह कृष्णानंद राय को मारना चाहता था. कृष्णानंद की बुलेट प्रूफ गाड़ी को रायफल नहीं भेद पाती, लेकिन लाइट मशीन गन से उस पर अटैक भेद देती. खैर हमने उसे पकड़ा, रिकवर किया और पोटा लगाने की कार्रवाई की. '

मुलायम सरकार पर लगाए आरोप
उन्होंने कहा कि, 'मुलायम सरकार थी, उन्होंने दबाव बनाना शुरू किया कि मुख्तार अंसारी का नाम इसमें से निकालना है, लेकिन मैंने इन्कार किया. विवेचना में से नाम हटाने को कहा गया, लेकिन ये भी संभव नहीं था. ये सब रिकॉर्ड में था, तो इसे कैसे हटाया जा सकता था. उसके बावजूद मुलायम सिंह यादव ने अंसारी पर पोटा लगाने की मंजूरी नहीं दी. अंत में मुझ पर ही आरोप लगे और मुझे 15 दिन बाद रिजाइन करना पड़ा.' 

देना पड़ा था इस्तीफा
उत्तर प्रदेश में लाइट मशीन गन की यह पहली और आखिरी रिकवरी थी. इसे हम सभी ने जान पर खेलकर रिकवर किया था. सबको उम्मीद थी कि गुडवर्क किया है तो आउट ऑफ टर्म प्रमोशन होगा, लेकिन शाम तक स्थिति बदल गई. लगातार हमारे अफसरों के जरिए हम पर दबाव बनाए जाने लगे. जब मैं इस पर तैयार नहीं हुआ तो रातों रात, बनारस रेंज के आईजी, डीआईजी सभी को रातों रात ट्रांसफर किया गया और बनारस की जिस यूनिट को मैं हेड करता था, उसको क्लोज करके लखनऊ बुला लिया गया. 

Advertisement

मौजूदा सरकार के लिए कही ये बात
उन्होंने कहा कि,  'मुझे लगातार 15 दिन तक यह बताया-समझाया जाता रहा कि, मैं क्यों पंगा ले रहा हूं, बहुत बड़ा माफिया है. शासन खुद सपोर्ट कर रहा है, लेकिन मैंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया. हालांकि मुझे इस्तीफा देना पड़ा. अपने त्यागपत्र में भी मैंने यही लिखा कि अगर शासन-प्रशासन को माफिया निर्देश दे रहे हैं तो मेरे जैसे ईमानदार अफसरों का काम करना संभव नहीं है, यही लिखकर त्यागपत्र दे दिया. उन्होंने आज की स्थिति को देखते हुए कहा कि, जितना मैं वर्तमान सरकार को देख रहा हूं तो कहीं कोई पत्ता नहीं खड़केगा मैं निश्चिंत हूं.'

Live TV

Advertisement
Advertisement