कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के मिलने के बाद से ही पूरे विश्व में चिंताएं बढ़ चुकी हैं, लेकिन इस बीच बीएचयू के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग से एक अच्छी खबर आई है. यहां यह दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का म्यूटेशन होना किसी भी अन्य आरएनए वायरस के म्यूटेशन की ही तरह है और अन्य आरएनए वायरस के म्यूटेशन से कोरोना वायरस के म्यूटेशन की गति कहीं ज्यादा कम है. इसके अलावा कहा गया कि कोरोना वायरस का म्यूटेशन खुद कोरोना के लिए खतरनाक है, साथ ही म्यूटेशन के बावजूद कोरोना वायरस के लिए बनाई गई वैक्सीन उस पर असरदार होगी.
इस बारे में और जानकारी देते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के अंतर्गत मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुमित कुमार सिंह बताते हैं कि सार्स कोरोना वायरस एक आरएनए वायरस है और आरएनए वायरस की प्रवृत्ति होती है कि वह म्यूटेट करते रहते हैं. यह कोई नई चीज नहीं है. यूके की आई रिपोर्ट में जो दो म्यूटेशन है, उससे लोगों के मन में भ्रम पैदा हो रहा है कि जो हमारी वैक्सीन आ रही है वह प्रभावकारी होगी या नहीं?
म्यूटेशन से वैक्सीन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि वैक्सीन हमारे शरीर की दोनों आर्म्स को लेकर बनाई गई हैं. एक आर्म ह्यूमोरल इम्प्यून रेस्पॉन्स है, जहां एंटीबॉडी अपना प्रभाव दिखाती है, तो दूसरा आर्म सेल्यूलर इम्यून रिस्पांस है, जहां टी सेल अपना प्रभाव दिखाती है. दोनों ओर से घेरकर हमारा इम्यून रिस्पांस इस वायरस पर अटैक करेगा. उन पर कोई ऐसा असर नही पड़ेगा जो कि नकारात्मक हो तो हमें किसी प्रकार के भय करने की जरूरत नहीं है.
यह हैप्टोथेटिकल सवाल है कि अगर यह म्यूटेशन लगातार होता रहा तो क्या असर पड़ेगा? म्यूटेशन वायरस के लिए भी खतरनाक होता है. लेकिन कभी ऐसे रेयरेस्ट असर भी देखते हैं, जब म्यूटेशन वायरस को फैलने के लिए असरकारक हो जाते हैं, तो आज की तारीख में यह हाइपोथेटिकल बात होगी कि कोरोना वायरस के लिए बनी वैक्सीन पर म्यूटेशन का कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. वैक्सीन असरकारक है और रहेगी, लेकिन वैक्सीन होने के बावजूद सभी सेफ्टी मेजर्स जैसे मास्क, सोशल डिस्टनसिंग अन्य का पहले जितना ही ध्यान रखना पड़ेगा.
म्यूटेशन अगर लगातार होते रहे तो यह वायरस के लिए ही बहुत बुरा असर डालेंगे. इससे वायरस के ऊपर ही उसकी एडेप्टेबिलिटी के ऊपर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
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उन्होंने कहा कि फ्लू वायरस से कोरोना वायरस की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि फ्लू वायरस का जीनोम अलग होता है. फ्लू वायरस का जीनोम सेगमेंटेड होता है, वे भी आरएनए वायरस है, जिससे एन्टीजनिक ड्रिफ्ट की संभावना ज्यादा रहती है, जबकि सार्स कोरोना वायरस का जीनोम सेगमेंटेड नहीं है. कोरोना वायरस में म्यूटेशन अन्य आरएनए वायरस की तुलना में धीमी गति से हो रहा है. यह फ्लू का रूप नही ले सकता, जिसमें आपको हर साल वैक्सीन लेने की जरूरत हो.
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