सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में स्कूली छात्र को थप्पड़ लगवाने वाली घटना की जांच सीनियर आईपीएस अधिकारी की निगरानी में कराने का आदेश दिया है. इस मामले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रपौत्र तुषार गांधी की याचिका पर जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिस अंदाज में एफआईआर दर्ज की गई है, वो आपत्तिजनक है.
कोर्ट ने कहा कि हमारी भी गंभीर आपत्ति है. क्या स्कूलों ने ऐसी गुणवत्ता परक शिक्षा दी जा रही है? हम इसकी गहराई में जाएंगे. राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए शीघ्र और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी. क्या स्कूल ने बच्चे की काउंसलिंग के लिए किसी विशेषज्ञ काउंसलर को नियुक्त किया है. ये काफी गंभीर मुद्दा है.
मुजफ्फरनगर में अगस्त में वायरल हुए एक वीडियो में नेहा पब्लिक स्कूल की टीचर एक छात्र को अन्य छात्रों से थप्पड़ लगवाते हुए एक समुदाय पर विवादित टिप्पणी भी कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह आपराधिक कानून को लागू करने में विफलता का मामला है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के मौलिक अधिकारों के साथ आरटीई एक्ट का भी उल्लंघन है. कोर्ट ने आदेश की अनुपालन रिपोर्ट तीन हफ्ते में देने का आदेश यूपी सरकार को दिया है. शिक्षा विभाग के सचिव को रिपोर्ट देनी होगी.
30 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 30 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. आदेश देते हुए जस्टिस ओक ने कहा कि चूंकि मामला विचाराधीन है, जांच चल रही है लिहाजा हम ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे लेकिन जांच निष्पक्ष होनी चाहिए. शिक्षा का अधिकार कानून के मुताबिक भी बच्चे को शारीरिक दण्ड और मानसिक पीड़ा पहुंचाने की इजाजत नहीं है. स्कूल में छात्रों के बीच नैतिक मूल्य बढ़ाने के लिए शिक्षकों को आगे आना होता है. जैसी टिप्पणियां आरोपी शिक्षिका ने की हैं उसके जरिए तो मकसद कतई हासिल नहीं होगा. कोर्ट ने राज्य सरकार को NCPCR की गाइडलाइंस पर भी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
FIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के FIR पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीड़ित छात्र के पिता के बयान के बावजूद कि धर्म की वजह से बच्चे को पीटा गया, FIR में इस बात का ज़िक्र नहीं है. राज्य सरकार को निर्देश दिया कि पीड़ित बच्चे को विशेषज्ञ बाल सलाहकार नियुक्त कर बच्चे को काउंसिलिंग दी जाए ताकि वो इस सदमे और तनाव से बाहर आ सके. सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसी अन्य स्कूल में पीड़ित छात्र की आगे की गुणवत्ता परक शिक्षा का समुचित इंतजाम कराए.
क्या पीड़ित छात्र की काउंसिलिंग कराई गई?- SC ने पूछा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अवैध तरीके से स्कूल चलाने पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या पीडित छात्र की काउंसिल कराई गई. कोर्ट ने कहा कि केवल पीड़ित बच्चे का ही नहीं, उन बच्चों की भी होनी चाहिए जिन्होंने बच्चे को पीटा था. यूपी सरकार ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर विभाग ने काउंसिलिंग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को पीडित बच्चे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. ये गंभीर मामला है हम इसे हल्के में नहीं ले रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोप सही है कि टीचर के कहने पर बच्चों ने उस लड़के को मारा, तो यह किस तरह का एजुकेशन सिस्टम है?