नागपुर में 17 मार्च की हिंसा के बाद शहर के कई इलाके में लगे कर्फ्यू को अब पूरी तरह से हटा लिया गया है. भारी अशांति के जवाब में अधिकारियों ने 11 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू किए थे. स्थानीय पुलिस ने बताया कि रविवार तक गणेशपेठ और यशोधरा नगर पुलिस थाना क्षेत्रों में लगे प्रतिबंध भी हटा दिए गए हैं.
शुरुआत में, नंदनवन और कपिलनगर क्षेत्रों से प्रतिबंध हटाए गए थे. इसके बाद, जोन 3 के तहत पंचपावली, शांतिनगर और लकड़गंज से और जोन 4 के तहत सक्करदरा और इमामवाड़ा से कर्फ्यू हटाया गया था. पूरी तरह से हटाए जाने से पहले, कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू की शर्तों में ढील दी गई थी, जिससे लोगों को कुछ घंटों के दौरान जरूरी खरीदारी करने की इजाजत दी गई थी.
यशोधरानगर में क्यों देरी से हटाया गया कर्फ्यू?
यशोधरानगर जोन 5 में आता है और हिंसा के दौरान घायल हुए इरफान अंसारी की मौत के बाद कर्फ्यू को और कड़ा किया गया था, और इसमें कोई ढील नहीं दी गई थी. 40 वर्षीय इरफान ने शनिवार को अस्पताल में दम तोड़ दिया. उनके परिवार ने बताया कि, वह 17 मार्च को रात करीब 11 बजे इटारसी जाने के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए घर से निकले थे, तभी वह हिंसा की चपेट में आ गए और गंभीर चोटें आई थी. यही वजह थी कि इलाके में लगे प्रतिबंधों में ढील नहीं दी गई.
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दंगाइयों से की जाएगी नुकसान की वसूली- फडणवीस
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बीच चेतावनी जारी की है और बताया है कि हिंसा में संपत्तियों के नुकसान के लिए "दंगाइयों" से वसूली जाएगी. उन्होंने कहा, 'दंगों के दौरान हुए कुल नुकसान की गणना की जाएगी और दंगाइयों से ही इसकी वसूली की जाएगी.' मुख्यमंत्री ने सख्त चेतावनी दी कि अगर अपराधी नुकसान की भरपाई करने में विफल रहते हैं, तो उनकी संपत्ति को बेचकर नुकसान की भरपाई की जाएगी. इतना ही नहीं फडणवीस ने "बुल्डोजर एक्शन" की भी चेतावनी दी.
हिंसा में शामिल लोगों की पहचान, कई गिरफ्तार
नागपुर शहर में हुई हिंसा में शामिल लोगों की स्थानीय पुलिस पहचान कर रही है, और उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जा रहा है. नागपुर पुलिस के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए दर्जनों आरोपियों की पहचान की गई है. नागपुर पुलिस ने बताया कि हिंसा के सिलसिले में 105 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें कुछ नाबालिग को भी पकड़ा गया है.
स्थानीय पुलिस साइबर सेल और सोशल मीडिया की भी जांच कर रही है. मसलन, नागपुर में हुई हिंसा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, और इससे पहले हिंदू संगठनों द्वारा किए गए प्रदर्शनों के वीडियोज भी सोशल मीडिया पर सामने आए थे.
मसलन, पुलिस ने अल्पसंख्यक डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मोहम्मद हामिद इंजीनियर को गिरफ्तार किया है. इनके अलावा एक सांप्रदायिक हिंसा में कथित भूमिका के लिए एक यूट्यूबर मोहम्मद शहजाद खान को भी हिरासत में लिया है. इससे पहले पुलिस ने एमडीपी के नागपुर अध्यक्ष और हिंसा के कथित मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान को गिरफ्तार किया था.
अधिकारियों ने धार्मिक कपड़े जलाने की घटना का किया खंडन
नागपुर में हुई हिंसा के संबंध में दावा किया जा रहा था कि हिंदू संगठनों के प्रदर्शनों के दौरान धार्मिक शब्दों वाला "चादर" जलाया गया था. हालांकि, स्थानीय पुलिस ने इसका खंडन किया और कहा कि प्रदर्शन में ऐसा कोई "चादर" नहीं जलाया गया था."इसके साथ ही पुलिस ने कहा था कि इसको लेकर अफवाह फैलाई गई थी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस संबंध में दावा किया था कि उन्होंने वीडियोज देखे हैं, जिसमें ऐसा कुछ नहीं पाया.
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नागपुर में कैसे हुई हिंसा?
दरअसल, 17 मार्च को हिंदू संगठनों वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नागपुर के महल क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन के दौरान, उन्होंने औरंगजेब का पुतला जलाया था और कब्र को हटाने की मांग के साथ नारेबाजी की थी. इसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान, रिपोर्ट्स सामने आई कि धार्मिक भाषा लिखी हुई "चादर" जलाई गई थी. हालांकि, बाद में स्थानीय पुलिस ने इसे अफवाह करार दिया और बताया कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी.
इसी कथित अफवाह के बाद नागपुर के महल समेत चिटनीस पार्क, हंसपुरी जैसे इलाकों में हिंसा भड़क गई और समुदायों के बीच झड़पें देखी गईं. स्थानीय पुलिस ने दावा किया कि लगभग 1,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई, पत्थर और आग के गोले फेंके, जिसमें 34 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. हिंसा के दौरान बताया गया कि 60 से ज्यादा वाहनों में तोड़फोड़ की गई और आग के हवाले कर दिया गया, जिनमें 36 कारें, 22 दोपहिया वाहन और एक क्रेन शामिल थे.