scorecardresearch
 

दिवाली से पहले दिल्ली पर प्रदूषण और कोरोना की दोहरी मार

16 सितंबर को दिल्ली में एक ही दिन में 4,473 नए केस दर्ज किए गए. इस बार भी केस धीरे-धीरे कम हुए, लेकिन उल्लेखनीय कमी नहीं आई. अक्टूबर के पहले हफ्ते तक हर दिन औसतन 2,500 नए केस जुड़ रहे थे. तब से राजधानी में दैनिक केसों में वृद्धि देखी जा रही है.

Advertisement
X
दिल्ली में पिछले एक हफ्ते से 5 हजार से ज्यादा कोरोना केस दर्ज हो रहे (सांकेतिक-पीटीआई)
दिल्ली में पिछले एक हफ्ते से 5 हजार से ज्यादा कोरोना केस दर्ज हो रहे (सांकेतिक-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 4 नवंबर को दिल्ली में एक दिन में 6,842 केस
  • एक हफ्ते से राजधानी में रोजाना 5 हजार केस
  • अक्टूबर के पहले हफ्ते से लगातार वृद्धि जारी

राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस की तीसरी लहर शुरू हो गई है. महामारी शुरू होने के बाद ये तीसरी बार है जब दिल्ली में डेली केसों में महत्वपूर्ण उछाल आया है. बुधवार, 4 नवंबर को दिल्ली में एक दिन में 6,842 नए केस दर्ज किए गए जो कि अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. इसके एक दिन पहले राजधानी में 6,752 केस दर्ज हुए थे.

Advertisement

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में हर दिन औसतन 5,000 से ज्यादा केस दर्ज किए जा रहे हैं. ये ऐसे समय हो रहा है जब ज्यादातर राज्यों में दैनिक केस की संख्या में काफी गिरावट आई है. यहां तक कि जो महाराष्ट्र जैसे राज्य जो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, वहां भी केस कम हुए हैं.

केस बढ़ने के 2 कारण!
दिल्ली में कोरोना केसों में पहला उछाल जून के अंत में आया. पहला पीक 25 जून को दर्ज हुआ जब 3,947 केस दर्ज किए गए. इसके बाद केसों की संख्या धीरे-धीरे घटती गई. अगस्त के पहले हफ्ते तक यहां हर दिन औसतन 1,000 से भी कम केस दर्ज हो रहे थे.

हालांकि, बाद में केस फिर से बढ़ने लगे. 16 सितंबर को दिल्ली में एक ही दिन में 4,473 नए केस दर्ज किए गए. इस बार भी केस धीरे-धीरे कम हुए, लेकिन उल्लेखनीय कमी नहीं आई. अक्टूबर के पहले हफ्ते तक हर दिन औसतन 2,500 नए केस जुड़ रहे थे. तब से राजधानी में दैनिक केसों में वृद्धि देखी जा रही है.

Advertisement

अशोका यूनिवर्सिटी, सोनीपत में भौतिकी और जीव विज्ञान के प्रोफेसर गौतम मेनन कहते हैं, “ये स्थिति चिंताजनक है. दैनिक केसों की संख्या अब इसके पहले आए पीक से ज्यादा हो गई है. दिल्ली के पड़ोसी शहर गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी नए केस पहले से ज्यादा आ रहे हैं.”

प्रोफेसर मेनन ने कहा, “संभव है कि केस बढ़ने के पीछे दो कारण हों, एक तो अगस्त के बाद से आवागमन बढ़ गया और दूसरे ​सर्दियों में लोग ऐसी बंद जगहों को ज्यादा पसंद करते हैं, जहां वायरस आसानी से फैल सके.”

टेस्टिंग स्थिर, केस वृद्धि जारी
दिल्ली में कोरोना की पहली दो लहरें हर दिन टेस्टिंग में हुई महत्वपूर्ण बढ़ोतरी का नतीजा थीं, लेकिन हाल ही जो केस बढ़ रहे हैं उसके पीछे टेस्टिंग नहीं है. गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद जून में दिल्ली ने टेस्ट संख्या हर दिन 6,000 से बढ़ाकर 18,000 की थी.

सितंबर में जब केसेज में दूसरा उछाल दर्ज हुआ, तब राज्य सरकार ने महीने के शुरुआती 10 दिनों में रोजाना टेस्ट हर दिन 20,000 से बढ़ाकर 60,000 कर दिया था. हालांकि, सितंबर के मध्य से दिल्ली में हर दिन होने वाले टेस्ट की संख्या 50,000-60,000 तक स्थिर है. ग्राफिक के संदर्भ में समझें तो टेस्टिंग का ग्राफ स्थिर बना हुआ है, जबकि दैनिक केसों में वृद्धि जारी है.

Advertisement

नतीजतन, कुल टेस्ट में से पॉजिटिव लोगों की संख्या के अनुपात (टेस्ट पॉजिटिविटी रेट-TPR) में काफी वृद्धि हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अगर किसी क्षेत्र विशेष में TPR दो हफ्ते से ज्यादा समय तक 5 प्रतिशत से कम बना रहता है तो यह समझना चाहिए कि टेस्ट प्रभावी ढंग से हो रहा है और वायरस नियंत्रण में है.

जून में जब दिल्ली में टेस्टिंग की हालत ठीक नहीं थी, तब पॉजिटिविटी रेट 20 प्रतिशत तक बढ़ गया था. बाद में अक्टूबर के पहले हफ्ते तक ये घटकर 5 प्रतिशत से भी कम रह गया. लेकिन सीमित टेस्ट और लगातार बढ़ते नए केसों की वजह से टेस्ट पॉजिटिविटी रेट एक महीने के भीतर 5 प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत हो गया.

कितने गंभीर हैं हालात 
भारत के ज्यादातर बड़े राज्यों में अब कोरोना के केस कम हो रहे हैं, लेकिन दिल्ली में इसका उल्टा है. 6,872 नए केसों के साथ दिल्ली अब केरल के बाद दूसरे नंबर पर है, जहां एक दिन में सबसे ज्यादा केस दर्ज हो रहे हैं.

महाराष्ट्र में अब हर दिन 5,000 से कम केस दर्ज हो रहे हैं. मध्य अक्टूबर में केरल ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़ा था जब ओणम त्योहार के बाद वहां दैनिक कसों में बढ़ोतरी होने लगी थी.

Advertisement

दिल्ली फिलहाल मेक्सिको से भी ज्यादा केस दर्ज कर रही है, जो कभी दुनिया के सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक था. पिछले एक हफ्ते से ये उत्तरी अमेरिकी देश हर दिन करीब 5,300 केस दर्ज कर रहा है.

दिल्ली में हर दिन 40-50 मौतें दर्ज हो रही हैं. यहां कोरोना की मृत्यु दर 1.6 फीसदी है जो कि 1.5 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से कुछ ज्यादा है.

प्रदूषण का असर
दिल्ली की तीसरी कोरोना लहर दिवाली से ठीक पहले आई है. भीड़-भाड़ वाले बाजार और उम्मीद से पहले प्रदूषित हो चुकी हवा हालात को और बदतर बना सकते हैं.

प्रोफेसर मेनन का कहना है, “प्रदूषण के मौजूदा उच्च स्तर के कारण गैर-कोरोना, सांस संबंधी बीमारियां बढ़ने का खतरा है. ये युवा और बूढ़े दोनों को प्रभावित कर सकती हैं जिससे अस्पतालों पर दबाव बढ़ेगा.”
 
प्रो मेनन ने कहा, “दिल्ली सरकार ने त्यौहारी सीजन में उचित सावधानी बरतने का आह्वान किया है, इसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए. इस समय 2-3 सप्ताह के लिए एक और स्थानीय लॉकडाउन पर विचार किया जा सकता है, जैसे कि यूरोप के कई देशों ने किया है. अगर यह किया जाना है, तो समय रहते करना बेहतर होगा.”

देखें: आजतक LIVE TV
 
इसके पहले इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ प्रभाकरण दोराइराज से बातचीत की थी, जिन्होंने विस्तार से बताया था कि कैसे खराब हवा की वजह से पैदा होने वाले रोग कोरोना की समस्या को और बढ़ा सकते हैं.

Advertisement

इंडिया टुडे को दिए एक खास इंटरव्यू में एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी चेतावनी दी थी कि पीएम2.5 का स्तर थोड़ा भी बढ़ने पर कोरोना केसों में 8-9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है.

गुरुवार, 5 नवंबर को दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई, क्योंकि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 अंकों को पार कर गया. शहर का एक्यूआई 450 दर्ज किया गया. अगर ये लंबे समय तक बना रहता है तो एक स्वस्थ आदमी को भी बीमार करने के लिए पर्याप्त है.

Advertisement
Advertisement