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'वो लोगों के दिल में रहते हैं, पत्थर में नहीं', जब विकास के लिए CM पटनायक ने तुड़वा दी थी पिता की समाधि

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 2019 में पुरी के स्वर्गद्वार में अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की 'समाधि' को तोड़ने का आदेश दिया था. सीएम के निजी सचिव रहे वीके पांडियन ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि क्यों पटनायक ने यह आदेश दिया था.

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पुरी के विकास के लिए नवीन पटनायक ने तुड़वा दी थी अपने पिता की समाधि
पुरी के विकास के लिए नवीन पटनायक ने तुड़वा दी थी अपने पिता की समाधि

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी के विकास के लिए 2019 में अपने पिता व ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक की समाधि को तोड़ने का आदेश दिया था. पुरी के स्वर्गदार स्थित समाधि को तोड़ने का मकसद श्मशान में अधिक जगह बनाना और तीर्थ नगरी में सौंदर्यीकरण अभियान को तेज करना था.

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निजी सचिव ने किया खुलासा

13 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री के साथ रहे उनके करीबी निजी सचिव वीके पांडियन ने मंगलवार को दुबई में उड़िया समुदाय को संबोधित करते हुए यह खुलासा किया. उन्होंने बताया, 'अब स्मारक की बजाय स्वर्गद्वार में बीजू बाबू के नाम की एक पट्टिका है.'

बहुत से हिंदू स्वर्गद्वार में अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करना चाहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि अगर वहां किसी का अंतिम संस्कार किया जाए तो मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है. बीजू पटनायक के निधन के बाद स्थानीय निकाय द्वारा 17 अप्रैल, 1997 को स्वर्गद्वार में उनके स्मारक का निर्माण कराया गया था. इसके बाद श्मशान का एक बड़ा क्षेत्र समाधि एरिया में आ गया. पांडियन ने बताया कि उन्होंने श्मशान घाट के सौंदर्यीकरण की योजना मुख्यमंत्री को दिखाई.

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आक्रोश से बचने के लिए सुबह में की कार्रवाई

पांडियन ने बताया, 'यह देखने के बाद कि स्मारक के कारण भूखंड का एक कोना अवरुद्ध है, मुख्यमंत्री ने इसे हटाने का फैसला किया. पटनायक परिवार के अन्य सदस्यों की भी राय कुछ ऐसी ही थी. पटनायक ने कहा कि उनके पिता लोगों के दिल में रहते हैं, पत्थर में नहीं.' पुरी का स्वर्गद्वार राज्य की पहली परिवर्तन परियोजना थी. पांडियन ने बताया कि मुख्यमंत्री ने लोगों के आक्रोश से बचने के लिए सुबह-सुबह स्मारक को गिराने का आदेश दिया था. 

स्वर्गद्वार समुद्र के सामने एक एकड़ में फैला हुआ है, जबकि इसके आसपास की लगभग 15 एकड़ जमीन की जमीन है. स्वर्गद्वार पुरी शहर के दक्षिण पश्चिमी छोर पर समुद्र किनारे स्थित है.यहां पर देवी स्मसन काली का मंदिर स्थित है औऱ कहा जाता है कि देवी काली स्वर्गद्वार की रक्षक के रूप में कार्य करती हैं.

 

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