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जिस अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन पर मचा है बवाल, उसे 2020 से नौसेना कर रही इस्तेमाल, नेवी चीफ ने बताई खासियत

भारत को जल्द ही अमेरिका से बेहद हाईटेक प्रीडेटर ड्रोन मिलने वाले हैं. भारत और अमेरिका के बीच यह डील उस समय हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए हुए थे. इस सौदे पर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है. लेकिन अब ड्रोन को लेकर नेवी चीफ का बयान आया है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका विजिट के दौरान भारत ने यूएस (United States) के साथ 31 प्रीडेटर ड्रोन (MQ-9B Predator UAV) खरीदने का सौदा किया. डील सामने आते ही कांग्रेस ने इस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सवाल उठाने शुरू कर दिए. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि भारत इन ड्रोन्स को चार गुना ज्यादा कीमत (880 करोड़ प्रति ड्रोन) में खरीद रहा है. प्रीडेटर ड्रोन को लेकर अब भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार का स्टेटमेंट सामने आया है.

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इंडियन नेवी चीफ ने आजतक से कहा कि प्रीडेटर ड्रोन के इस्तेमाल से रक्षा बलों को मजबूती मिलती है. नौसेना प्रमुख ने चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंद महासागर की निगरानी के लिए 2500 से 3000 मील तक उड़ान  भरनी होती है. जिससे पता चल सके कि समंदर में कौन किस जगह पर तैनात होकर काम कर रहा है. सामने वाला वहां क्यों है और क्या कर रहा है. इसलिए नेवी ने दो नवंबर 2020 से दो ड्रोन लीज पर ले लिए थे. तब से इनका संचालन किया जा रहा था. नौसेना ने अपने ऑपरेशन के दौरान इन ड्रोन्स से 12 हजार घंटे से ज्यादा समय तक उड़ान भर चुकी है. 

ड्रोन में क्या स्पेशल?

1. लगातार 30 घंटे से ज्यादा समय तक उड़ान भर सकता है.
2. देश के हित में शामिल बड़े इलाकों को कवर कर सकता है.
3. ऊंचाई तक उड़ने वाले इस ड्रोन की क्षमता काफी ज्यादा है.

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क्यों है जरूरत?

नौसेना प्रमुख ने बताया कि बेहतर निगरानी और समुद्री क्षेत्र में जागरुकता बढ़ाने के लिए यह ड्रोन जरूरी है. इसके जरिए बड़े-बड़े इलाकों को कवर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब शांति का समय होता है, तब खुफिया मिशन, निगरानी और टोही मिशन यानी ISR के लिए इन ड्रोन्स का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, जब जंग के हालात होते हैं तब इन ड्रोन्स के जरिए दुश्मन की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. इससे किसी को टारगेट करने की भी संभावना रहती है. उन्होंने ड्रोन की स्ट्राइक क्षमता के बारे में भी बताया.

विपक्ष क्यों उठा रहा सवाल?

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का दावा है कि जो राफेल डील में हुआ. वह अब प्रीडेटर ड्रोन की खरीद में दोहराया जा रहा है. जिस ड्रोन को बाकी देशों ने चार गुना कम कीमत में खरीदा. उसी ड्रोन को हम (भारत) 880 करोड़ रुपये प्रति ड्रोन खरीद रहे हैं. 25 हजार करोड़ रुपये में हम 31 ड्रोन खरीद रहे हैं.

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