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NBA ने रिपब्लिक टीवी को IBF की सदस्यता से निलंबित करने की मांग की

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) ने कहा कि लीक वॉट्सऐप संदेशों से पता चलता है क‍ि रिपब्लिक टीवी के लिए लगातार कई महीने फर्जी तरीके से रेटिंग में हेरफेर कर ज्यादा दर्शक संख्या दिखायी गयी और दूसरे चैनलों की रेटिंग घटायी गयी. यानी रिपब्लिक टीवी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया.

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NBA ने रिपब्लिक टीवी की IBF सदस्यता निलंबित करने की मांग की
NBA ने रिपब्लिक टीवी की IBF सदस्यता निलंबित करने की मांग की
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अर्णब और पार्थो दासगुप्ता के बीच मैसेज लीक मामला
  • एनबीए इन मैसेज को देख स्तब्ध रह गया है
  • TRP हेरफेर के दोष‍ियों के ख‍िलाफ कार्रवाई की मांग

ARG आउटलायर मीडिया (रिपब्लिक टीवी) के मैनेजिंग डायरेक्टर अर्णब गोस्वामी और BARC इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच हुए सैकड़ों WhatsApp संदेशों को देखकर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) स्तब्ध रह गया है. एनबीए ने कहा है कि इन संदेशों से यह साफ है कि लगातार कई महीनों तक फर्जी तरीके से रिपब्लिक टीवी की ज्यादा व्यूअरशि‍प दिखाने के लिए दोनों के बीच आपसी सांठगांठ थी. 

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एनबीए ने रिपब्लिक टीवी को तत्काल प्रभाव से इंडियन ब्रॉडकास्ट‍िंंग फाउंडेशन (IBF) की सदस्यता से निलंबित करने की मांंग की है. एनबीए ने कहा, 'इन वॉट्सऐप संदेशों से पता चलता है क‍ि रिपब्लिक टीवी के लिए लगातार कई महीने फर्जी तरीके से रेटिंग में हेरफेर कर ज्यादा दर्शक संख्या दिखायी गयी और दूसरे चैनलों की रेटिंग घटायी गयी. यानी रिपब्लिक टीवी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया.' 

एनबीए ने कहा कि ये वॉट्सऐप मैसेज न सिर्फ रेटिंग में हेरफेर को दर्शाते हैं, बल्कि सत्ता के खेल को भी उजागर करते हैं. दोनों के बीच हुए संदेशों के आदान-प्रदान में केंद्र सरकार में सचिवों की नियुक्ति, कैबिनेट में बदलाव, पीएमओ तक पहुंच और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कामकाज पर भी रोशनी पड़ती है. इससे एनबीए द्वारा पिछले चार साल से लगातार लगाए जा रहे इन आरोपों की पुष्टि होती है कि एक गैर एनबीए सदस्य ब्रॉडकास्टर बार्क के शीर्ष प्रबंधन के साथ मिलीभगत कर रेटिंग में हेरफेर कर रहा है. 

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रिपब्लिक टीवी को सस्पेंड किया जाए 

एनबीए ने मांग की है कि रिपब्लिक टीवी को तत्काल प्रभाव से इंडियन ब्रॉडकास्ट‍िंंग फाउंडेशन (IBF) की सदस्यता से निलंबित किया जाए और यह तब तक जारी रहे जब तक कि रेटिंग में हेरफेर का मामला कोर्ट में लंबित है. एनबीए बोर्ड का यह भी मानना है कि रिपब्लिक टीवी द्वारा रेटिंग में हेरफेर से प्रसारण उद्योग की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान हुआ है और इसलिए जब तक कोर्ट का अंतिम आदेश नहीं आ जाता, इस इंडस्ट्री को बार्क की रेटिंग सिस्टम से बाहर रखना चाहिए. 

एनबीए ने बार्क को भी यह बता दिया है कि फिलहाल रेटिंग पर भरोसा नहीं किया जा सकता और हाल के खुलासों को देखते हुए इसे निलंबित रखना चाहिए, जिनसे यह पता चलता है कि बार्क किस तरह से मनमाने तरीके से काम कर रहा है. इससे पता चलता है कि इस व्यवस्था में किसी भी तरह का अंकुश नहीं है और बार्क में कुछ लोग आसानी से अपनी मर्जी के मुताबिक रेटिंग में बदलाव कर देते हैं, इससे पूरा सिस्टम किसी पारदर्शी प्रणाली की जगह मैनेजमेंट की मनमर्जी से चल रहा है.

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इसकी ओवरसाइट कमिटी में किसी भी ब्रॉडकास्टर का प्रतिनिधित्व नहीं है और बार्क को यह सिर्फ परामर्श ही दे सकती है जिसकी वजह से बार्क की स्वायत्तता सिर्फ आंखों में धूल झोंकने जैसी बात है. एनबीए की यह प्रबल मांग है कि इन संदिग्ध कार्यों की वजह से बार्क के ख‍िलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, इसके अलावा उन लोगों के ख‍िलाफ भी कानूनी और पुलिसिया कार्रवाई की जाए जो बार्क की विश्वनीयता को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार हैं और समूचे न्यूज ब्रॉडकास्ट कारोबार की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ताकि ब्रॉडकास्टर बिना किसी भय या दुष्परिणाम के सुचारू तरीके से अपना काम कर सकें.  

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एनबीए ने कहा कि यह बात वास्तव में बेचैन करने वाली है कि कोई कठोर कदम उठाने की जगह बार्क जुलाई 2020 के बाद कई महीनों तक फॉरेंसिक रिपोर्ट को दबाए रहा, जिनसे कि इस तरह की हेराफेरी पर रोशनी पड़ सकती है. यह पारदर्श‍िता में व्यवस्थागत खामी का साफ उदाहरण है, जो कि बार्क की स्थापना के समय से ही बनी हुई है.गोपनीयता का हवाला देकर बार्क न सिर्फ एनबीए से आंकड़े साझा करने से बचता रहा है, बल्कि उसने दोषी ब्रॉडकास्टर के ख‍िलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, न तो कोई जुर्माना लगाया और न ही अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गयी. वास्तव में बार्क में नए मैनेजमेंट के कार्यभार ग्रहण करने के बाद भी हेराफेरी व्यापक तौर पर जारी है. 

एनबीए बोर्ड ने बार्क के सामने ये मांगें रखी हैंं: 
 

1. ऑडिट के दौरान अपनी रेटिंग की सत्यता के बारे में एक साफ बयान दें और हिंदी न्यूज जनर की भी ऑडिट की जाए. 
2. दोषी ब्रॉडकास्टर के सभी आंकड़ों को हटाया जाए और सभी चैनलों की असल रैकिंग को शुरुआत से नए सिरे से दिया जाए. 
3. यह बताएं कि रेटिंग को पुख्ता रखने के लिए बार्क ने पिछले तीन महीने में क्या ठोस कदम उठाए हैं. 
4. पूरी प्रक्रिया में पारदर्श‍िता लायी जाए और एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिसमें नए इकोसिस्टम को प्रभावित करने वाली रेटिंग में किसी भी तरह का बदलाव सिर्फ एनबीए के नॉमिनी वाले बार्क की सब-कमिटी के परामर्श से हो सके. 
5. इस बारे में बताएं कि बार्क के संविधान में उन ब्रॉडकास्टर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए क्या प्रावधान किये गये हैं जो कि इस स्तर की रेटिंग हेर फेर में लिप्त हैं और मौजूदा मामले में क्याकार्रवाई की गयी. 
6. न्यूज चैनलों की रेटिंग को तब तक निलंबित रखी जाए जब तक कि बार्क ऐसी कार्रवाई का पूरा ब्योरा सभी पक्षों को नहीं मुहैया कर देता है. 

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एनबीए बोर्ड ने यह भी कहा है क‍ि हर महीने जो हेरफेर वाले आंकड़े जारी किये गये उनसे न केवल न्यूज चैनलों की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है, बल्कि उन्हें भारी वित्तीय नुकसान भी हुआ है, जिसके लिए बार्क को सफाई देनी होगी.  

 

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