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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद वाली समिति की सिफारिश के अनुसार ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी.
समिति ने “एक देश, एक चुनाव” को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की है. इसके तहत पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और उसके बाद दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की योजना है. समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' योजना में एक कदम आगे कदम बढ़ाया है. एकसाथ चुनाव कराने की यह कोशिश अब सिर्फ़ संख्या पर निर्भर है.
दो तिहाई बहुमत की जरूरत
कोविंद पैनल को अपनी राय देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने “एक देश, एक चुनाव” के विचार का समर्थन किया है जबकि 15 ने इसका विरोध किया. ये 32 या तो भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी हैं या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रति नरम रवैया रखते हैं. हालांकि, बीजू जनता दल, जो कभी एनडीए का समर्थन करता था वह अब इस योजना का विरोध कर रहा है.
एक साथ चुनाव लागू करने के लिए, कई संवैधानिक संशोधनों को पारित करना होगा. इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी, जिसके तहत लोकसभा में 361 वोट और राज्यसभा में 156 वोट चाहिए होंगे.
लोकसभा के नंबर गेम में पीछे रह गया एनडीए
लोकसभा में एनडीए के पास 293 सीटें हैं, जो आवश्यक 361 से 68 कम है. छोटे गैर-गठबंधन दलों के 16 वोटों को भी एनडीए के साथ जोड़ दें तो फिर भी एनडीए को विपक्ष के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. वहीं इंडिया ब्लॉक के पास 237 सीटें हैं और दो सीटें नांदेड़ और वायनाड सीट खाली है. मौजूदा परिदृश्य को देखें तो केंद्र को यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
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राज्यसभा में भी मुश्किल है डगर
राज्यसभा में, एनडीए के पास 121 सीटें हैं, जो बहुमत के लिए आवश्यक 156 से बहुत कम हैं. इंडिया ब्लॉक के पास 87 सीटें हैं, जो एनडीए की राह को और जटिल बनाती हैं.
राज्य विधानसभाओं में एनडीए की मजबूत स्थिति
राज्य स्तर पर, एनडीए का 28 विधानसभाओं (राज्य विधान सभाओं) में से 19 पर कब्जा है. इससे सरकार को राज्य स्तर पर संवैधानिक संशोधनों की पुष्टि करने के लिए बहुमत मिल जाता है, हालांकि विपक्ष शासित राज्यों से प्रतिरोध की संभावना बनी रहेगी.
विपक्ष भी मजबूत
प्रस्ताव का विरोध करने वाली 15 पार्टियों में से पांच दल- कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) - विभिन्न राज्यों में सत्ता में हैं. इसके अतिरिक्त, INDIA ब्लॉक की सभी 10 पार्टियां एक देश, एक चुनाव के विचार का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
हालांकि बहुजन समाज पार्टी ने शुरू में प्रस्ताव का विरोध किया था, लेकिन अब वह राज्यसभा में केवल एक सांसद होने के बावजूद इसके पक्ष में है.
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आगे की राह
संसद में अंतर-दलीय समर्थन के बिना, एनडीए को एक देश, एक चुनाव के लिए आवश्यक संशोधनों को पारित करने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. जबकि एनडीए राज्य विधानसभाओं में मजबूत है. नंबर्स बताते हैं कि एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में आवश्यक दो-तिहाई बहुमत से कम नंबर्स हैं.