NEET और JEE परीक्षा के मुद्दे पर विपक्ष एकजुट है. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल परीक्षा टालने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की ओर से साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. तीनों ही पार्टियों ने इस दौरान मोदी सरकार पर निशाना साधा और छात्रों की जान खतरे में डालने का आरोप लगाया.
डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि याचिका दायर करना सिर्फ एक कदम है. ये मामला राजनीति से परे है. यह छात्रों के लिए है. हम परीक्षा टालने की मांग करते हैं. टीएमसी सांसद ने कहा कि ये सिर्फ 25 लाख छात्रों की बात नहीं है, उनके परिवार की भी बात है. डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमने छात्रों के लिए कोर्ट जाने का फैसला लिया है.
वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री और JMM के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र ने बताया है कि लाखों छात्रों ने एडमिट कार्ड को डाउनलोड किया है. मुझे समझ नहीं आता कि ये किस तरह का तर्क है. यदि ये मामला है, तो अगर किसी का जीवन बीमा है, तो क्या इसका मतलब है कि वो जल्दी मर जाएगा.
कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि क्या एडमिट कार्ड डाउनलोड करना और रजिस्टर करना इस बात का सबूत है कि छात्र खुशी से परीक्षा देने जा रहे हैं. आप (केंद्र) कई विद्यार्थियों को बाहर कर रहे हैं, कई ऐसे विद्यार्थी हैं, जो बीमार हैं नहीं आ सकते. कई ऐसे हैं जो सक्षम नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो डर में हैं, लेकिन अगर जाने के बाद वो बीमार पड़ गए तो परिवार को क्या जवाब देंगे?
6 राज्यों ने दायर की पुनर्विचार याचिका
वहीं, गैर-बीजेपी शासित छह राज्यों की तरफ से शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया कि कोर्ट कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र को JEE-NEET की परीक्षा कराने को लेकर दिए गए अपने आदेश पर पुनर्विचार करे. पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल (मोलो घटक), झारखंड (रामेश्वर उरांव), राजस्थान (रघु शर्मा), छत्तीसगढ़ (अमरजीत भगत), पंजाब (बीएस सिद्धू) और महाराष्ट्र (उदय रविंद्र सावंत) के मंत्री शामिल हैं.