नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की दिल्ली की संभावित यात्रा के दौरान बिजली बेचने के लिए भारत के साथ 25 साल का समझौता हो सकता है. हालांकि प्रचंड की भारत यात्रा की आधिकारिक तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है. 'काठमांडू पोस्ट' ने नेपाली अधिकारियों के हवाले से रविवार को बताया कि प्रधानमंत्री के अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद प्रचंड दिल्ली दौरे पर आ सकते हैं.
नेपाल के ऊर्जा मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने बताया कि हम भारत के लिए 25 साल के समझौते को लेकर एक प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं, लेकिन इस प्रस्ताव पर भारत सहमत है या नहीं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर होगा. मंत्रालय के सचिव दिनेश घिमिरे ने बताया कि इसको लेकर चर्चा चल रही थी, लेकिन इसे अभी तक नेपाल के विदेश मंत्रालय को प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले एक एजेंडा बनाने के लिए नहीं भेजा गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के समझौते पर तभी हस्ताक्षर किए जा सकते हैं जब प्रचंड के नई दिल्ली पहुंचने से पहले भारतीय पक्ष नौकरशाही स्तर पर अपनी सहमति दे. फरवरी के आखिरी में भारत में ऊर्जा सहयोग पर संयुक्त संचालन समिति (JSC) की 10वीं सचिव स्तर की बैठक के दौरान नेपाल ने इस तरह के सौदे का प्रस्ताव रखा था.
माउंट आबू में हुई थी JSC की बैठक
नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) में बिजली व्यापार निदेशक प्रबल अधिकारी ने कहा, "बैठक के दौरान, यह निर्णय लिया गया कि नेपाल एक प्रस्ताव पेश करेगा, जिसकी भारत जांच करेगा." फरवरी में राजस्थान के माउंट आबू में JSC की बैठक में, नेपाल और भारत ने ढालकेबार-मुजफ्फरपुर ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बिजली आयात और निर्यात क्षमता को 600 मेगावाट से बढ़ाकर 800 मेगावाट करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
टनकपुर-महेंद्रनगर से 70 से 80 मेगावॉट बिजली के आयात-निर्यात के लिए 132 केवी बिजली पारेषण का समझौता भी दोनों देशों के बीच हुआ. इसके साथ ही बारिश में नेपाल से बिहार को बिजली देने के लिए आवश्यक तंत्र स्थापित करने के लिए भी सहमत हुए.
452 मेगावाट बिजली बेचने की अनुमति
फिलहाल नेपाल को भारतीय बिजली बाजारों में 10 जलविद्युत परियोजनाओं द्वारा उत्पादित 452.6 मेगावाट बिजली बेचने की अनुमति है. बिजली निर्यात करने के लिए नेपाल भारतीय अधिकारियों से अधिक परियोजनाओं के अप्रूवल की प्रतीक्षा कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में, भारत उन परियोजनाओं से बिजली खरीदने से इनकार कर रहा है जिनमें चीनी निवेशक या ठेकेदार शामिल हैं. नेपाल गर्मी के मौसम में अधिशेष ऊर्जा पैदा करता है, जबकि सर्दियों में उसे भारत से बिजली खरीदनी पड़ती है.