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10 मिनट में 'इंसान' की ड‍िलिवरी...लोगों की मदद या कमाई का नया जरिया? क्या कहते हैं लोग

10 मिनट में राशन, 20 मिनट में खाना...ब्ल‍िंक इट, जोमैटो और स्विगी आपके एक क्लिक पर सामान लेकर दरवाजे पर हाजिर हो जाता है, लेकिन इनसे भी कई कदम आगे बढते हुए एक नई स्टार्टअप कंपनी मार्केट में आई है जो 10 मिनट में आदमी की डिलिवरी करेगी. जी हांं, ये कोई कोरी कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है Topmate.io एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो अब इंसानों की डिलिवरी करने का दावा कर रहा है.

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Representational Image by MetaAI
Representational Image by MetaAI

एक कंपनी का दावा है कि वो जो इंसान डिलिवर करेगा वो आपकी जिंदगी की उलझ़नों को दूर करेगा, आपके करियर के लिए गाइडेंस भी देगा. इस ऐप की मदद से आपको 10 मिनट के भीतर ही एक्सपर्ट एडवाइस मिल सकती है. वो चाहे नौकरी बदलने की बात हो या फिर कोई इमोशनल ड‍िस‍िजन लेना हो, आपको किसी न किसी एक्सपर्ट की सटीक सलाह मिल जाएगी. इस नई पहल की सोशल मीड‍िया में हर तरफ चर्चा हो रही है. मनोवैज्ञान‍िक दृष्टिकोण से इसे अलग नजरिये से देखा जा रहा है. आइए एक्सपर्ट और युवाओं से जानते हैं कि आख‍िर इस तरह की ऐप कितनी मददगार होने वाली हैं.

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क्या इस ऐप से दूर होगी लोगों की मुश्किलें?

भारत में तेजी से अपनी रीच बढ़ा रहा ये नया प्लेटफार्म शहरों में रह रहे युवाओं को रोमांच‍ित कर रहा है. यह ऐप जेप्टो या ब्लिंक इट की तर्ज पर काम कर रहा है, लेकिन इसमें कोई ग्रॅासरी या अन्य प्रोडक्ट की जगह 'इंसान' की ड‍िल‍िवरी का दावा किया गया है. ये इंसान असल में अपने अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं, जो कि उपभोक्ता को करियर गाइडेंस, पर्सनल डेवलेपमेंट से लेकर किसी तरह की प्रॅाब्लम सॉल्व करने में मदद करते हैं, ये ऐप स‍िर्फ फास्ट डिलीवरी सेवा से कहीं ज़्यादा है.  

NIMHANS बेंगलुरु की एमडी मनोचिकित्सा डॉ माधवी लहरी कहती हैं कि क‍िसी व्यक्त‍ि को कोई सलाह या राय तभी दी जा सकती है, जब उसके पक्ष के बारे में पूरी तरह से मूल्यांकन किया गया हो. उसकी स्थ‍ितियों-परिस्थ‍ित‍ियों से लेकर उसकी क्षमताओं और सोच के स्तर को समझकर ही सलाह दी जा सकती है. अचानक दस मिनट के भीतर उपलब्ध होना तो सही है, लेकिन उसे इसी दस मिनट के भीतर उच‍ित सलाह मिल जाए, ये आसान नहीं लगता. चाहे करियर हो या जिंदगी की और कोई समस्या, इंसान को सलाह देने के लिए पहले उसकी पर्सनैलिटी का असेसमेंट और उसके रवैये के बारे में भी पूरी तरह पता होना जरूरी है.

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इसलिए प्रोफेशनल रीच अगर दस मिनट के भीतर हो रही है तो ऐप कारगर है. कई बार दूसरे प्लेटफॉर्म से ऑथेंट‍िक प्रोफेशनल नहीं मिल पाते. इस तरह की ऐप किसी व्यक्त‍ि को सटीक व‍िषय के वास्तव‍िक प्रोफेशनल से जोड़ सकती है. उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति अपनी समस्या बताए और उसे तत्काल कोई प्रोफेशनल हैंडिल कर ले.

जयपुर राजस्थान के मनोच‍िकित्सक डॉ अन‍िल शेखावत कहते हैं कि आजकल जिस तरह युवाओं में खुद को नुकसान पहुंचाने के मामले बढ़े हैं, ऐसे में कोई ऐप जल्द से जल्द रीच बनाकर उन तक अगर एक्सपर्ट की पहुंच बना सकती है तो ये अच्छा कदम है. कोई भी प्रोफेशनल यहां अपनी राय देकर उसके आत्मघाती फैसले को बदल सकता है. हालांकि सरकार टेलि मानस जैसी हेल्पलाइन के जरिये ऐसी पहल कर रही है. लेकिन कोई निजी तौर पर भी ऐसी ऐप से काम कर सकता है. जहां एक ही प्लेटफार्म से अगर एक्सपर्ट मिल जाते हैं तो वो भविष्य में भी उनसे संपर्क में रह सकता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

करियर एक्सपर्ट डॉ अम‍ित निरंजन कहते हैं कि यह बहुत अच्छी पहल है. करियर एक्सपर्ट आपको कोई फील्ड चुनने में सलाह दे सकते हैं, जॉब चेंज करना है तो आपकी सीवी देखकर वो असेस कर सकते हैं.  लेकिन इसमें व्यक्त‍िगत एनालिस‍िस हर एक्सपर्ट का अलग -अलग होता है. इससे किसी व्यक्ति‍ के कंफ्यूज होने की संभावना बढ़ सकती है. जैसे किसी ने पूछा क‍ि मैं यूपीएससी में अच्छा कर‍ियर बना सकता हूं, या स्टार्टअप अच्छा विकल्प है. इसमें हर प्रोफेशनल की राय अलग- अलग हो सकती है. अगर किसी व्यक्त‍ि ने दो लोगों की राय ली और वो अलग- अलग हुई तो वो संदेह में पड़ सकता है कि क्या करे. मानव स्वभाव होता है कि वो किसी एक व्यक्त‍ि से ही सलाह लेकर फैसले नहीं करता. अगर उसे एक्सपर्ट के विकल्प मिलते हैं तो वो एक से ज्यादा व‍िकल्प भी ले सकता है.

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कमाई का जरिया?

मुखर्जी नगर में यूपीएससी छात्र ओम अग्रहर‍ि कहते हैं कि बेरोजगारी के दौर में ये स्टार्ट अप भी छोटी मोटी जॉब कर रहे युवाओं से पैसे ऐंठने का जरिया भर है. करियर की सलाह देने के लिए कई सीनियर या टीचर्स होते हैं, उसके लिए भी फीस पे करनी हो तो किसी नामी करियर काउंसलर या मनोवैज्ञान‍िक काउंसलर से संपर्क करना सही रहेगा. ऐप वर्ल्ड में हर दिन कुछ न कुछ नया करके युवाओं को बेचने का प्रयास किया जा रहा है.

करोलबाग में तैयारी कर रहे रूपेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि इस तरह की ऐप तभी कारगर हो सकती हैं जब इनका चार्ज बहुत कम हो. साथ ही यहां मिलने वाले एक्सपर्ट अनुभवी हों. दस मिनट के भीतर अवेलेबल होकर सलाह देने की बात कहने में जितनी अच्छी लगती है, असल में ये इतना आसान काम नहीं है.

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