scorecardresearch
 

थियेटर कमांड को रफ्तार, चीन की चुनौतियां और पाक के पैंतरे... नए CDS अनिल चौहान के सामने ये हैं चैलेंज

देश के नए CDS के रूप में अनिल चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती केंद्र की महात्वाकांक्षी स्कीम को अमल में लाने की है. इसमें सेना के तीनों अंगों के बीच सिनर्जी स्थापित की जानी है. इसके लिए अनिल चौहान के सामने थियेटर कमांड प्रोजेक्ट को पूरा करने की चुनौती होगी.

Advertisement
X
नए CDS के सामने थियेटर कमांड को बनाना बड़ी चुनौती है (फाइल फोटो- पीटीआई)
नए CDS के सामने थियेटर कमांड को बनाना बड़ी चुनौती है (फाइल फोटो- पीटीआई)

सीडीएस बिपिन रावत की दुखद मौत के 9 महीने के बाद देश को नया चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) मिल गया है. 61 साल के लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) देश के नए सीडीएस होंगे. सीडीएस बनने के बाद उनका ओहदा फोर स्टार जनरल का होगा. 40 साल के करियर में चीन मामलों के एक्सपर्ट, बालाकोट ऑपरेशन के दौरान मिलिट्री ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल और एनएसए के अजित डोभाल के सलाहकार अनिल चौहान के सामने भारत की सुरक्षा को लेकर बड़ी चुनौतियां हैं.

Advertisement

बतौर CDS अनिल चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती केंद्र की महात्वाकांक्षी स्कीम सेना के तीनों अंगों के बीच सिनर्जी स्थापित करने की होगी. इसके लिए अनिल चौहान के सामने थियेटर कमांड प्रोजेक्ट को पूरा करने की चुनौती होगी. बता दें कि देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत ने अपना पद संभालते ही कहा था कि भविष्य में देश में थिएटर कमांड्स (Theatre Commands) बनाए जाएंगे ताकि युद्ध की नौबत आने पर दुश्मन को माकूल जवाब दिया जा सके. बिपिन रावत इस प्रोजेक्ट पर काम कर ही रहे थे कि उनका आसामयिक निधन हो गया. 

थियेटर कमांड को रफ्तार

अब अनिल चौहान के सामने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की चुनौती है. सबसे पहले ये समझ लें कि थियेटर कमांड होता क्या है? थियेटर कमांड एक सांगठनिक ढांचा है जिसके तहत सभी सैन्य संसाधनों का एकीकृत कंट्रोल तैयार किया जाता है. इसका उद्देश्य युद्ध की स्थिति में सेना की जवाब देने की क्षमता को मारक और प्रभावी बनाना है. 

Advertisement

थिएटर कमांड का मकसद भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को एक छत के नीचे लाना है. चार नए थिएटर कमांड बनाने पर बिपिन रावत काम कर रहे थे. रावत जिस थिएटर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, वो प्रोजेक्ट चीन और पाकिस्तान से आने वाले खतरों से निपटने में अहम रोल अदा करेगा. अब अनिल चौहान के सामने इस प्रोजेक्ट को आगे ले जाने की चुनौती होगी. बता दें कि अभी देश में एकमात्र थिएटर कमांड है, जिसकी स्थापना 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी. 

चीनी सीमा पर चुनौती

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ होने के नाते अनिल चौहान के सामने एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी एक बड़ी चुनौती होगी. गोगरा हॉट स्प्रिंग से अभी दोनों देशों के सेनाओं की डिस्एंगेंजमेंट हो चुकी है. लेकिन चीन का रिकॉर्ड भरोसे लायक नहीं रहा है. इसलिए उन्हें इस मोर्चे पर काफी सतर्क रहना पड़ेगा. नागालैंड के दीमापुर में कोर कमांडर के तौर पर वे अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी को काफी करीब से देख चुके हैं. चीन से निपटने में उनका ये अनुभव काफी काम आएगा.

बता दें कि जिस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत का चीन से तनाव था तब वे सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से सटे LAC पर चीन की हरकतों पर बारीक नजर रखे हुए थे. 

Advertisement

पाकिस्तान के पैंतरे

अनिल चौहान के सामने पाकिस्तान की पैंतरेबाजी से निपटना भी बड़ा टास्क साबित होने वाला है.  जम्मू-कश्मीर में इंडियन आर्मी ने फिलहाल आतंकियों को बैकफुट पर धकेल रखा है. नियंत्रण रेखा पर भी पिछले कुछ दिनों में कमोबेश शांति है. लेकिन घरेलू मोर्चे पर बुरी तरह से घिरा पाकिस्तान अपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए बॉर्डर पर खटपट कर सकता है. इसके अलावा भारत सरकार अगले कुछ दिन में जम्मू कश्मीर में चुनाव का ऐलान कर सकती है.

इस दौरान पाकिस्तान निश्चित रूप से अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करेगा. बता दें कि अनिल चौहान बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान सेना में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस थे. इसलिए उन्हें बॉर्डर की गतिविधि का अच्छा अनुभव है. आने वाले दिनों में घाटी में शांति कायम रखना लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के सामने बड़ी चुनौती होगी. 

सेना का आधुनिकीकरण

वार फ्रंट के अलावा देश के अंदर सेना का आधुनिकीकरण, नए हथियारों की खरीद, रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को बढ़ावा देना भी कुछ ऐसे मोर्चे हैं जहां अनिल चौहान को अपने नेतृ्त्व और प्रबंधन कौशल को साबित करना पड़ेगा.  
 

 

Advertisement
Advertisement