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नए क्रिमिनल लॉ एक जुलाई से होंगे लागू, धोखाधड़ी करने वाला ‘420’ नहीं 316 कहलाएगा, 302 नहीं रहेगी हत्या की धारा

राज्यसभा में आपराधिक बिल पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन कानूनों के लागू होने के बाद 'तारीख-पे-तारीख' युग का अंत सुनिश्चित होगा और तीन साल में न्याय दिया जाएगा.

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तीन नए क्रिमिनल कानून एक जुलाई से लागू होंगे
तीन नए क्रिमिनल कानून एक जुलाई से लागू होंगे

तीन नए क्रिमिनल कानून 1 जुलाई से लागू होंगे. इसे लेकर केंद्र सरकार ने आज अधिसूचना जारी कर दी. इसमें कहा गया है कि ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होंगे. ये तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं.

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बता दें कि इन तीनों बिलों को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था. बाद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दे दी थी. राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद इन्हें कानून बना दिया गया. ये तीनों कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और आईपीसी की जगह लेंगे. विशेषज्ञों के अनुसार तीन नए कानून आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और अधिक सख्त बना देंगे.

भारतीय न्याय संहिता में जहां 20 नए अपराध जोड़े गए हैं, वहीं आईपीसी में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है. साथ ही 33 अपराधों में कारावास की सज़ा बढ़ा दी गई है. 83 प्रावधानों में जुर्माने की सज़ा को बढ़ाया गया है, जबकि 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सज़ा का प्रावधान किया गया है और 6 अपराधों में 'सामुदायिक सेवा' की सज़ा का प्रावधान किया गया है.

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राज्यसभा में आपराधिक बिल पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन कानूनों के लागू होने के बाद 'तारीख-पे-तारीख' युग का अंत सुनिश्चित होगा और तीन साल में न्याय दिया जाएगा. अमित शाह ने इन बिलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि इन कानूनों से नागरिकों के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी.

किसमें क्या बदला? 

- IPC: कौनसा कृत्य अपराध है और इसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है. अब इसे भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा. आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी. 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ा है. 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है. 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा. और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है.

- CrPC: गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है. सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं को बदल दिया गया है. 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 को खत्म कर दिया गया है. 

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- इंडियन एविडेंस एक्टः केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, ये सब इंडियन एविडेंस एक्ट में है. इसमें पहले 167 धाराएं थीं. भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. 24 घाराओं में बदलाव किया गया है. दो नई धाराएं जुड़ीं हैं. 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं.

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