मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं. वह ढाई साल से अधिक समय तक इस पद पर रहे. ऐसे में अब नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त की तलाश में 17 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक होनी है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती है.
दरअसल, निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य आयुक्त की नियुक्ति के लिए स्थापित तीन सदस्यीय चयन मंडल में प्रधानमंत्री के अलावा प्रधानमंत्री के मनोनीत प्रतिनिधि के रूप में नामित केंद्रीय मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी होंगे. पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होती थी. सेवानिवृत्त होने वाले मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जाती थी, लेकिन अब नए वैधानिक प्रावधानों के तहत चयन समिति बहुमत या सर्वसम्मति से नए निर्वाचन आयुक्त या मुख्य निर्वाचन आयुक्त का चयन करेगी. अब आइए जानते हैं कि इस चयन प्रक्रिया का पूरा प्रोसेस क्या है...
पहले जानिए क्या होता है चुनाव आयोग
संविधान के अनुच्छेद-324 में चुनाव आयोग के बारे में जिक्र किया गया है. देश में केंद्रीय चुनाव आयोग है, फिर हर प्रदेश के लिए राज्य चुनाव आयोग होते हैं. इनमें भी एक मुख्य चुनाव आयुक्त होता है. चुनाव आयोग ही लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा से लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए जिम्मेदार संस्था है. सबसे बड़ा अधिकारी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) होता है और उनके अंडर में चुनाव आयुक्त (EC) होते हैं. लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद आचार संहिता लागू होती है और फिर पूरे प्रशासनिक मशीनरी की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के हाथों में आ जाती है. ट्रांसफर से लेकर पोस्टिंग तक चुनाव आयोग के आदेश पर होती है. राज्य में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं.
कैसे होती है नियुक्ति
CEC और EC की नियुक्ति (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम 2023 के प्रावधानों के तहत की जाती है. इस अधिनियम ने पुराने चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम 1991 की जगह ली है. चुनाव आयोग के पास पहले सिर्फ एक मुख्य चुनाव आयुक्त था, लेकिन वर्तमान में इसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं.
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अब जानिए पूरा प्रोसेस
CEC और EC की नियुक्ति पर नया कानून लागू हुआ है. नए कानून के मुताबिक, सबसे पहले कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी होती है कि वो मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट करे. ये नाम वो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी के पास भेजेगा. चयन कमेटी के पास अधिकार हैं कि वो शॉर्ट लिस्ट उम्मीदवार या उससे अलग किसी अन्य कैंडिडेट के नाम की सिफारिश भी कर सकती है. चयन कमेटी अपनी सिफारिश के नाम को राष्ट्रपति के पास भेजेगी. उसके बाद राष्ट्रपति इस कैंडिडेट के नाम पर अंतिम मुहर लगाएंगे और नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. बाद में नियुक्त CEC या EC निर्वाचन आयोग में शपथ लेगा और अपने कामकाज को संभालेगा. चयन कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता और पीएम की ओर से नामित केंद्रीय मंत्री सदस्य के रूप में शामिल होते हैं.
पहले चयन कमेटी के पैनल में कौन था?
पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी चयन कमेटी में शामिल थे. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से दिसंबर 2023 में नया कानून लाया गया है. इसके मुताबिक, सीजेआई की जगह पैनल में केंद्रीय मंत्री को रखा गया है. इससे पहले सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाती थी और परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ अधिकारी को CEC के रूप में नियुक्त किया जाता था.
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CEC और EC का कितना होता है कार्यकाल?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दोनों निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है. सीईसी की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है.
निर्वाचन आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्तों (ECs) से मिलकर बनता है. राष्ट्रपति सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर करते हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग 1950 में गठित हुआ था. तब से लेकर 15 अक्टूबर, 1989 तक आयोग सिर्फ मुख्य निर्वाचन आयुक्त वाला एकल-सदस्यीय निकाय होता था.
फिर 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह तीन-सदस्यीय निकाय रहा. इस दौरान आरवीएस शास्त्री मुख्य निर्वाचन आयुक्त, एसएस धनोवा और वीएस सहगल निर्वाचन आयुक्त के रूप में आयोग के तीन सदस्य रहे. 2 जनवरी, 1990 से 30 सितंबर, 1993 तक यह फिर एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और एक बार फिर 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया. तब से भारत के निर्वाचन आयोग में सीईसी और 2 ईसी सहित तीन सदस्य होते हैं.