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नए वक्फ कानून में दान के लिए 5 साल का वेटिंग पीरियड क्यों? धर्मांतरण से है कनेक्शन

वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य रहे एक भाजपा सांसद ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगा जो मुसलमान परिवार में पैदा हुआ है, तथा उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि इस्लाम में धर्मांतरित लोगों को यह समझने के लिए पर्याप्त समय मिले कि वे क्या कर रहे हैं

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वक्फ कानून में नए धर्मांतरित मुसलमान दान नहीं कर सकते हैं.
वक्फ कानून में नए धर्मांतरित मुसलमान दान नहीं कर सकते हैं.

वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. इस कानून की आलोचना करने वालों ने एक बड़ी आपत्ति जिस बात को लेकर जताई है वो इस बात को लेकर है कि वक्फ दान केवल वही व्यक्ति कर सकता है जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो. विपक्षी सांसदों और मुस्लिम नेताओं ने इसी पांच साल की सीमा पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद ने बताया कि इसकी क्या जरूरत थी. आखिर पांच साल की सीमा क्यों तय की गई. 

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बता दें कि नए वक्फ कानून में प्रावधान है कि इस्लाम धर्म अपनाने वाले किसी भी व्यक्ति को वक्फ दान देने से पहले पांच साल तक प्रतीक्षा करनी होगी. यानी कि पांच साल तक इस्लामिक परंपराओं का पालन करने के बाद ही वह दान कर सकता है. 

वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य रहे एक भाजपा सांसद ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगा जो मुसलमान परिवार में पैदा हुआ है, तथा उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि इस्लाम में धर्मांतरित लोगों को यह समझने के लिए पर्याप्त समय मिले कि वे क्या कर रहे हैं, तथा वे वक्फ को लेकर कही सुनी बातों पर आंख मूंदकर विश्वास न करें. 

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद संसद द्वारा पारित किया गया और 5 मार्च को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई. 

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भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा नए वक्फ कानून में जो प्रावधान पेश किए गए हैं उनमें से एक यह है कि केवल कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ घोषित कर सकता है. 

इस प्रावधान का संसद में कई सांसदों ने विरोध किया था. 

टीएमसी सांसद नदीमुल हक ने कहा था कि, "इस विधेयक में एक शर्त का उल्लेख है कि कोई व्यक्ति कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने के बाद ही वक्फ बना सकता है. मैं पूछना चाहता हूं - कौन यह प्रमाण पत्र देगा कि कोई व्यक्ति इस्लाम का पालन करने वाला मुसलमान है? यह असंवैधानिक है और अनुच्छेद 14 के खिलाफ है." 

कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने भी सवाल उठाया कि सरकार ने पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाले मुसलमान का सत्यापन कैसे करने की योजना बनाई है. "उन्होंने कहा है कि केवल वे लोग ही वक्फ दान कर सकते हैं जो पांच साल तक इस्लाम का पालन कर रहे हैं. वे इसे कैसे प्रमाणित करेंगे? क्या वे मुस्लिम घरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन कितनी बार नमाज पढ़ रहा है,"

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श्रीनेत ने सवाल किया, "पूरी दुनिया में किसी भी धर्म के लोगों को अपनी संपत्ति दान करने की स्वतंत्रता है."

5 साल की समय सीमा क्यों? 

सवाल है कि सरकार को एक ऐसे प्रावधान की आवश्यकता क्यों महसूस हुई?

जेपीसी में शामिल एक भाजपा नेता ने इंडिया टुडे डिजिटल से कहा, "पांच साल की प्रतीक्षा अवधि यह सुनिश्चित करेगी कि केवल वे ही लोग वक्फ दान कर रहे हैं, जिन्होंने वास्तव में इस्लाम अपना लिया है. और यह कि नए धर्मांतरित लोगों को धोखा नहीं दिया जा रहा है." 

मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने कहा है कि वक्फ अधिनियम 1995 में 2013 के संशोधन ने दावों के लिए द्वार खोल दिए हैं. इन दावों के अनुसार, वक्फ बोर्डों के तहत संयुक्त भूमि भारत की कुल भूमि क्षेत्र का 5% होगी.

नाम न बताने की शर्त पर भाजपा सांसद ने कहा, "हाल के वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब लोगों की संपत्ति को ध्यान में रखकर उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया है. 

भाजपा सांसद ने कहा, "पांच साल की अवधि का प्रावधान मुस्लिम धर्म में पैदा हुए व्यक्ति के लिए कोई बाधा पैदा नहीं करता, जो अपनी खुद की संपत्ति कभी भी दान कर सकता है. यह केवल उन लोगों पर लागू होता है, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया है."

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यह पूछे जाने पर कि पांच साल की अवधि क्यों, उससे कम अवधि क्यों नहीं, सांसद ने कहा, "पांच साल एक व्यावहारिक प्रतीक्षा अवधि है."

भाजपा नेता ने कहा, "अगर किसी ने धर्म परिवर्तन किया है और उस समय तक धर्म का पालन कर रहा है, तो यह साबित होता है कि उसने वास्तव में इस्लाम धर्म अपना लिया है और वह वक्फ के लिए दान कर सकता है." 

प्रतीक्षा अवधि का उद्देश्य हाल ही में धर्म परिवर्तन करने वालों के किसी भी कथित दबाव या अनुचित प्रभाव के तहत वक्फ के लिए दान देने से रोकना है. 

सरकार 5 साल से प्रैक्टिस कर रहे मुस्लिम की पहचान कैसे करेगी?

ये स्पष्टता सरकार द्वारा तब प्रदान की जाएगी जब वह नए वक्फ कानून के बारे में विस्तृत नियम जारी करेगी.

जब नियम लागू हो जाएंगे, तो इस्लाम अपनाने वाले व्यक्ति की पहचान दाढ़ी और टोपी जैसे दिखने वाले चिह्नों से नहीं होगी, जैसा कि विपक्षी सांसद सुझा रहे हैं, बल्कि आधिकारिक दस्तावेजों से होगी.

हालांकि, इससे अस्पष्टता पैदा होती है क्योंकि कानून या 'अधिनियम' संसद द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन नियम जो विस्तार से बताते हैं कि इसे कैसे लागू किया जाएगा, उनका मसौदा तैयार किया जाता है और बाद में अधिसूचित किया जाता है. 

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सरकार पांच साल तक अपने नए धर्म का पालन करने वाले मुसलमानों की पहचान कैसे करेगी, यह तभी स्पष्ट होगा जब नियम अधिसूचित किए जाएंगे. यह स्पष्ट है कि सरकार ने पांच साल की प्रतीक्षा अवधि क्यों लागू की है. वह चाहती है कि वक्फ दान जबरदस्ती और अनुचित प्रभाव के आरोपों से मुक्त हो. 
 

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