छह हजार गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के FCRA लाइसेंस रद्द करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टल गई. अब इसपर मंगलवार को सुनवाई होगी. जस्टिस ए एम खानविलकर ने कहा कि यह मामला तीन जजों की बेंच के पास सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा. बता दें कि गृह मंत्रालय ने इन हजारों एनजीओ का FCRA रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं करने का फैसला किया था. फिर अमेरिका स्थित एक गैर-सरकारी संगठन ग्लोबल पीस इनिशिएटिव ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी.
दरअसल, पिछले दिनों केंद्र सरकार ने करीब 6 हजार गैर-सरकारी संगठनों (NGO) में से कुछ का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया था, वहीं कुछ का रिन्यू करने से इनकार कर दिया था. यहां जिस रजिस्ट्रेशन की बात हो रही है वह विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत मिलता है, जिससे विदेश से फंडिंग ली जा सकती है.
मदर टेरेसा के NGO का भी था नाम
जिन गैर-सरकारी संगठनों का FCRA रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ उसमें सबसे प्रमुख Missionaries of Charity था. मिशनरीज ऑफ चैरेटी को समाजसेवी मदर टेरेसा ने 1950 में शुरू किया था. मदर टेरेसा के इस NGO का हेडक्वाटर बंगाल में है. लाइसेंस रिन्यू नहीं होने पर TMC ने केंद्र को घेरा था. हालांकि केंद्र ने 6 जनवरी को उसके FCRA लाइसेंस को रिन्यू कर दिया था. कहा गया था कि संबंधित विभाग को आवश्यक दस्तावेज जमा किए जाने के बाद लाइसेंस को बहाल कर दिया गया था.
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केंद्र ने क्या तर्क दिया था
FCRA रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं करने या फिर कैंसल करने के पीछे केंद्र सरकार की तरफ से सफाई भी आई थी. कहा गया था कि प्रतिकूल इनपुट्स की वजह से इनको रिन्यू नहीं किया गया. वहीं अब दायर याचिका में दावा किया गया है कि हजारों NGO के FCRA पंजीकरण को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द किया गया. इसे संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं और उन भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन बताया गया जिनकी वे सेवा करते हैं. याचिका में कोविड का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस वक्त ऐसे एनजीओ प्रासंगिक है.
जिन संस्थानों का लाइसेंस रद्द हुआ है या रिन्यू नहीं हुआ है उसमें ऑक्सफैम इंडिया ट्रस्ट, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और लेप्रोसी मिशन आदि भी शामिल है.