नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बड़ा कदम उठाते हुए पंजाब सरकार पर 2080 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. एनजीटी का कहना है कि पंजाब सरकार वेस्ट मैनेजमेंट मैकेनिज्म बनाने में विफल रही. एनजीटी ने कहा कि 2018 के कई आदेश पास होने के बावजूद पंजाब सरकार द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया.
एनजीटी ने अपने फैसले में कहा है कि पंजाब 2014 से प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लिए वैधानिक समय-सीमा का पालन करने में विफल रहा है. इसके साथ ही सीवेज प्रबंधन और जल प्रदूषण नियंत्रण डिवाइस लगाने में विफल रहा है. इतना ही नहीं एनजीटी ने पंजाब सरकार को प्रदूषण फैलाने वालों से 2080 करोड़ रुपए के जुर्माने को वसूलने के लिए कहा है.
क्या कहा एनजीटी ने अपने आदेश में?
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि पर्यावरणीय मानदंडों का बड़े पैमाने पर पालन नहीं किया गया, इसके चलते मौत और बीमारियां और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा, जबकि इसके लिए जवाबदेही भी तय नहीं की गई. नियमों का उल्लंघन और ट्रिब्यूनल के आदेशों का उल्लंघन एक आपराधिक अपराध है, फिर भी राज्य के अधिकारियों द्वारा व्यावहारिक रूप से बिना किसी जवाबदेही के बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया गया.
ट्रिब्यूनल ने वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन पर 2018 से कई आदेश पारित किए. एनजीटी ने 2020 में मॉडल सिटी के लिए निर्देश जारी किए. ट्रिब्यूनल ने तीन मॉडल शहरों, कस्बों और गांवों को 6 महीने में और शेष राज्य को एक साल में नियमों के अनुपालन करने की उम्मीद की थी.
एनजीटी द्वारा राज्यों को लक्ष्य दिया गया था कि मुख्य सचिवों के अंडर सीधे पर्यावरण प्रकोष्ठों की स्थापना होगी, इनकी राज्य स्तर पर मुख्य सचिवों द्वारा और जिला स्तर पर जिलाधिकारियों द्वारा नियमित निगरानी की जाएगी. यहां तक कि तीन साल बाद न ही इनका पालन किया गया, न ही भविष्य में इनका पालन को लेकर कोई योजना बनाई गई. इस मामले में एनजीटी ने कुछ समय पहले राजस्थान पर 3000 करोड़ और महाराष्ट्र पर 12000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था.