दिल्ली हाईकोर्ट कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की फांसी की सजा की मांग वाली NIA की याचिका पर कल सुनवाई करेगा. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और यशवंत सिंह की बेंच सोमवार सुबह 10:30 बजे इस मामले की सुनवाई करेगी. यासीन मलिक वर्तमान में UAPA के तहत टेरर फंडिंग और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने से जुड़े एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. मई 2022 में उसे दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई थी.
पटियाला हाउस कोर्ट में NIA की स्पेशल कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने मलिक पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. NIA स्पेशल कोर्ट ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और IPC के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं थी. यासीन मलिक को 2 अपराधों IPC की धारा-121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और UAPA की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) के तहत सजा सुनाई गई थी.
दरअसल, यासीन मलिक के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत 2017 में आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने, आतंक के लिए पैसा एकत्र करने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे गंभीर आरोप थे. जिसे उसने चुनौती नहीं देने की बात कही और इन आरोपों को स्वीकार कर लिया. यह मामला कश्मीर घाटी में आतंकवाद से जुड़े मामले से संबंधित है. वर्ष 2017 में कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं में बहुत इजाफा देखने को मिला था. घाटी के माहौल को बिगाड़ने के लिए लगातार आतंकी साजिशें रची जा रही थीं और वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था. इसी मामले में दिल्ली की विशेष अदालत में अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ सुनवाई हुई थी, जिसमें यासीन ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था.
हालांकि एनआईए ने ट्रायल कोर्ट के सामने भी यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी. लेकिन निचली अदालत ने यह कहते हुए फांसी की सजा देने से इनकार कर दिया कि मौत की सजा केवल उन असाधारण मामलों में ही दी जानी चाहिए "जहां अपराध समाज की सामूहिक चेतना को झकझोरता हो".
एनआईए ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि मलिक 30 वर्षों से अलगाववादी गतिविधियों में शामिल था और हिंसा व आतंकवादी गतिविधियों की कई घटनाओं के लिए जिम्मेदार था. जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि मलिक ने खुद अपना गुनाह कबूल किया था.
इसी बीच कश्मीर के नेताओं ने यासीन की फांसी की सजा की मांग वाली NIA की याचिका पर सवाल उठाते हुए बयान दिए हैं. ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे "भड़काने और डराने का जानबूझकर किया गया प्रयास" बताया है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'भारत जैसे लोकतंत्र में जहां एक पीएम के हत्यारों को भी माफ कर दिया गया, यासीन मलिक जैसे राजनीतिक कैदी के मामले की समीक्षा और पुनर्विचार किया जाना चाहिए.