राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शुक्रवार को दो विदेशी नागरिकों समेत पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया है. जांच एजेंसी को संदेह है कि ये लोग भारतीय युवकों की तस्करी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट है जो उन्हें विदेशों में फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर करता है.
जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि तस्करी किए गए युवाओं में से किसी ने भी ऑनलाइन धोखाधड़ी का काम करने से मना करने पर इस शक्तिशाली सिंडिकेट ने पीड़ित को अपने काम कराने के लिए प्रताड़ित करने का भी आरोप है.
बयान में कहा गया है कि आरोपियों ने पीड़ितों की बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध, उनके बीजा और सभी दस्तावेजों को जब्त कर लिया. साथ ही उन्होंने पीड़ितों पर मनमाना जुर्माना लगाया और जान से मारने की धमकी दी, जबकि पीड़िता महिलाओं को रेप का खतरा था. साथ ही आरोपियों ने पीड़ितों को स्थानीय पुलिस थाने में नशीली दवाओं के झूठे मामले में फंसाने की भी धमकी दी.
अदालत में दायर किए इस आरोप पत्र में जेरी जैकब और गोडफ्री अल्वांस को गिरफ्तार कर लिया है और अन्य सनी गोंजाल्विस और विदेशी नागरिक नीय-नीय और एल्विस डू अभी फरार है.
एनआईए की विशेष अदालत, मुंबई के समक्ष दायर आरोपपत्र में इस मामले में कई विदेशी नागरिकों की संलिप्तता का खुलासा हुआ है, जिसमें एजेंसी अभी जांच कर रही है. इस रैकेट का पूरी तरह से ऑडिट किया जा रहा है और आरोपियों ने सबूतों को नष्ट करने के लिए पीड़ितों के मोबाइल फोन का डेटा भी हटा दिया है.
आरोप पत्र में बताया गया है कि काम न करने वाले लोगों को आरोपियों द्वारा प्रताड़ित भी किया गया. कुछ मामलों में पीड़ितों को दूतावास या स्थानीय प्रशासन से संपर्क करने पर धमकी दी जा रही हैं. जबकि कुछ मामलों में पीड़ितों को 3 से 7 दिनों तक बिना खाने के रखा गया है.
जबरन वसूली का भी है आरोप
एनआईए ने कहा कि पीड़ितों को वहां से रिहाई के लिए जबरन वसूली का भी सामना करना पड़ा. आरोपियों ने उन्हें अपने पास से रिहा करने के लिए 30 हजार से लेकर 1,80,000 रुपये तक वसूलने और पीड़ितों की शिकायतों पर लाओ पीडीआर में भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद रिहा किया गया.
पर्यटक बीजा पर कराते थे काम
एनआईए के अनुसार, आरोपियों ने कंप्यूटर और अंग्रेजी भाषा की जानकारी रखने वाले भारतीय युवाओं को निशाना बनाया और उन्हें आर्थिक लाभ के लिए पर्यटक बीजा पर फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया. पीड़ितों को थाईलैंड के रास्ते लाओं पीडीआर में गोल्डन ट्राइंगल सेज में भर्ती किया जा रहा है और फिर उन्हें बाद में वहां से ट्रांसफर किया जा रहा था.
बयान में कहा गया है कि वहां पहुंचने पर पीड़ितों को फेसबुक, टेलीग्राम, क्रिप्टोकरेंसी की मूल बातें और घोटालेबाज कंपनी द्वारा बनाए गए एप्लिकेशन को संभालने के लिए ट्रेनिंग भी दी गई.