यमन में मौत की सजा पाई केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया की मां द्वारा यमन जाने की इजाज़त देने की गुहार को दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल ठुकरा दिया है. इस मामले पर सरकार के रुख के साथ विस्तृत सुनवाई सोमवार चार दिसंबर को होगी. निमिषा प्रिया की मां की याचिका पर सुनवाई के लिए छुट्टी के दिन दिल्ली हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच शाम 4.30 बजे बैठी. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर मां और अन्य लोग अपने रिस्क पर यमन जाना चाहते है तो क्या इसकी इजाजत दी जा सकती है?
दिल्ली हाई कोर्ट ने 10 साल की बच्ची को मां के साथ यमन जाने की इजाज़त देने से इनकार करते हुए पूछा कि क्या आप सरकार के मना करने के बाद भी खतरा उठाकर यमन जाना चाहती हैं?
सरकार ने कहा है कि आप लोगों का वहां जाना सुरक्षित नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भारत से यमन के लिए कोई सीधी फ्लाइट भी नहीं है. लड़की की मां के वकील ने कहा कि वह अपने रिस्क पर यमन जाने के लिए तैयार है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि मां की उम्र 58 साल है. साथ में दो लोग देखभाल के लिए जाएंगे. निमिषा की 10 साल की बच्ची भी साथ जाएगी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि मां खुद की देखभाल भी नहीं कर सकती है साथ में दस साल की मासूम बच्ची भी होगी. हम 10 साल की बच्ची को जाने की इजाज़त नहीं दे सकते हैं. क्योंकि वहां खतरा है. केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हम भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर हैं.
अगर महिला को वहाँ पर कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार पर ही आती है. याचिका में कहा गया है कि निमिषा खाड़ी मुल्क यमन में फंस चुकी हैं. निमिषा की मां ने यमन में जाकर 'ब्लड मनी' या कहें तो मुआवजा को रकम अदा कर अपनी बेटी को छुड़वाने के लिए यमन जाने की इजाज़त मांगी है. इससे पहले विदेश मंत्रालय ने यमन के मौजूदा हालात के मद्देनजर कहा कि हम सलाह देंगे कि वह वहां नहीं जाएं! उनकी मदद के लिए हमारा कोई राजनयिक मिशन यमन में मौजूद भी नहीं है.