2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत ने एक तरफ जहां कांग्रेस की केंद्र में बीजेपी को सत्ता से हटाने के मुहिम की हवा निकाल दी है वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के सहयोगी दलों को पार्टी पर हमला करने का मौका दे दिया है. एक तरफ जहां राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मिली करारी हार ने इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के नेतृत्व पर ही बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय ने बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को भी नई संजीवनी दे दी है.
नीतीश ने कांग्रेस को था चेताया
2024 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए बनी इंडिया गठबंधन की आखिरी बैठक 3 महीने पहले हुई थी जिसके बाद अब तक एक भी बैठक नहीं हुई है और इसी को लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कांग्रेस पर करारा हमला बोला था.
गौरतलब है, 2 नवंबर को पटना में CPI द्वारा आयोजित एक एक जनसभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर तंज कसा था और कहा था कि पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनाव के कारण कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की कोई चिंता नहीं है और शायद विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद ही विपक्षी गठबंधन की कोई बैठक बुलाई जाएगी.
" इंडिया गठबंधन में अभी काम ज्यादा नहीं हो रहा है. पांच जगह विधानसभा चुनाव चल रहा है. कांग्रेस की ज्यादा दिलचस्पी इसी चुनाव में है. हम लोग कांग्रेस को आगे बढ़कर काम कर रहे थे मगर फिलहाल कांग्रेस को इन सब चीज की चिंता नहीं है. पांच राज्य के चुनाव समाप्त होंगे तो उसके बाद ही कांग्रेस से विपक्षी दलों की बैठक बुलाएगी", नीतीश कुमार ने 2 नवंबर को CPI की आमसभा में कहा था
नीतीश कुमार ने शायद नवंबर के शुरुआत में जो भविष्यवाणी की थी वह विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद बिल्कुल सही साबित हो रहे हैं क्योंकि तीन राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली में बुलाई है.
नीतीश के पक्ष में बना माहौल
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली में 6 दिसंबर को विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है मगर इस बैठक से पहले ही नीतीश कुमार की पार्टी ने नीतीश के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया है.
एक बात तो साफ है कि तीन राज्यों में कांग्रेस को मिली करारी शिकायत ने एक बार फिर से इंडिया गठबंधन के अन्य दलों को नई ऊर्जा से भर दिया है और जनता दल यूनाइटेड जैसे क्षेत्रीय दल कांग्रेस को सीधा संदेश दे रहे हैं कि क्षेत्रीय दलों की अनदेखी कर कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नहीं हरा सकती.
जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश महासचिव निखिल मंडल ने कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया.
निखिल मंडल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इंडिया गठबंधन को अब नीतीश कुमार के अनुसार चलना चाहिए. निखिल मंडल ने लिखा की पांच राज्यों के चुनाव के कारण कांग्रेस व्यस्त थी और इंडिया गठबंधन पर ध्यान नहीं दे रही थी मगर अब जब कांग्रेस चुनाव लड़ चुकी है और नतीजे भी सामने आ गए हैं. निखिल मंडल ने कहा कि इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमारी अब विपक्षी गठबंधन की नैया को पार कर सकते हैं.
निखिल मंडल के पोस्ट से स्पष्ट है कि कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में हर के बाद क्षेत्रीय दोनों के हौसले बुलंद हो गए हैं और अब इन दलों ने कांग्रेस पर दबाव की राजनीति बनाना शुरू कर दिया है.
विधानसभा चुनाव के नतीजे इस बात की ओर भी इशारा कर रही है कि नीतीश कुमार की पार्टी एक बार फिर से नए सिरे से नीतीश को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने की मुहिम तेज करेगी
कांग्रेस की हार, नीतीश-लालू गदगद
सूत्रों के मुताबिक, जनता दल यूनाइटेड और लालू प्रसाद की आरजेडी कांग्रेस की हुई हार से गदगद है क्योंकि इंडिया गठबंधन की आखिरी बैठक के बाद इस तरीके का देश में माहौल बन रहा था कि कांग्रेस अकेले अपने दम पर बीजेपी को 2024 में चैलेंज करने की कोशिश कर रही थी और सहयोगी दलों की अनदेखी की जा रही थी. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को कड़ी खोटी सुनाया और उनके साथ सीटों का ताजमहल नहीं किया उसको लेकर अखिलेश यादव ने भी अपनी नाराजगी कांग्रेस को लेकर साफ तरीके से दिखाई थी.
सूत्र बताते हैं की जनता दल यूनाइटेड और राजद को इस बात का डर था कि अगर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत होती है तो फिर वह क्षेत्रीय दलों की आगे और ज्यादा अनदेखी करेगी और खास कर बिहार जैसे राज्य में जब सीटों के बंटवारे का सवाल उठेगा तो कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों की मांग करेगी और साथ ही 2025 के विधानसभा चुनाव में भी पहले से अधिक संख्या में सीट की मांग करेगी. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार ने नीतीश और लालू प्रसाद के ऊपर से दबाव काफी कम कर दिया है और अब इसके उलट कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के दबाव में नजर आ रही है.
नीतीश और लालू की बढ़ी बारगेनिंग कैपेसिटी
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार के संदर्भ में बात करें तो सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों क्षेत्रीय दलों के नेताओं की बारगेनिंग कैपेसिटी आपको कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है. विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस की बड़ी जीत होती तो साफ है कि लोकसभा चुनाव में भी बिहार में कांग्रेस 40 में से ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग करती मगर विधानसभा चुनाव में असफल होने के बाद नीतीश और लालू अब कांग्रेस को अपने इशारों पर नचायेंगे.