I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी बात हिंदी भाषा में रखी. तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके के नेता टीआर बालू ने सीएम नीतीश से हिंदी से अंग्रेजी में ट्रांसलेट करने को कहा, जिस पर वह भड़क गए. उन्होंने कहा कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है इसलिए सबको आनी चाहिए. नीतीश के इस व्यवहार की आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ने आलोचना की है.
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने ट्वीट कर कहा, "हिंदुस्तान का मतलब वह जमीन, जो हिमालय और इंदु सागर या हिंदुओं की भूमि के बीच स्थित है, न कि हिंदी भाषा की भूमि."
उन्होंने कहा कि राज्यों के भाषाई विभाजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भारत में सभी भाषाओं को समान दर्जा मिले, चाहे उन्हें बोलने वाले लोगों की संख्या कुछ भी हो. उन्होंने जेडीयू नेता से भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करने का भी आग्रह किया.
आध्यात्मिक गुरु ने कहा, "आदरपूर्वक आपसे अनुरोध है कि इस तरह के तुच्छ बयानों से बचें क्योंकि कई राज्य हैं जिनकी अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति है."
दिल्ली में मंगलवार को I.N.D.I.A ब्लॉक की बैठक में विवाद तब पैदा हुआ जब डीएमके नेता टीआर बालू, नीतीश कुमार द्वारा हिंदी में दिए गए भाषण को समझने में असमर्थ रहे और अनुवाद के लिए संकेत दिया. आरजेडी सांसद मनोज झा ने जब उनके भाषण का अनुवाद करने की पेशकश की तो नीतीश कुमार ने उन्हें अस्वीकार कर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है, हमें भाषा आनी चाहिए."
देश में भाषा को लेकर चल रही राजनीतिक बहस नीतीश कुमार के आक्रोश के बाद फिर तेज हो गई है. जहां खासकर दक्षिणी राज्यों में केंद्र सरकार पर कथित तौर पर हिंदी थोपने का आरोप लगता रहा है, वहीं अब आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव का ये रिएक्शन चर्चाओं में है.