बीते जून महीने में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान Covishield वैक्सीन लगवाने के बावजूद एंटीबॉडी नहीं बनने के मामले में सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ समेत सात लोगों को कोर्ट ने तलब किया है. लखनऊ जिला अदालत ने अदार पूनावाला समेत सात लोगों को 1 अप्रैल के लिए सम्मन जारी किया है.
12 जून को लखनऊ के रहने वाले प्रताप चंद्र ने कोरोना वैक्सीन लगवाने के बावजूद एंटीबॉडी नहीं बनने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए लखनऊ की जिला अदालत में शिकायत दर्ज करवाई थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए लखनऊ जिला अदालत ने सीरम कंपनी मालिक अदार पूनावाला, ड्रग कंट्रोल डायरेक्टर, स्वास्थ सचिव, ICMR और WHO के विरुद्ध दायर अपील की सुनवाई में दलीलों को सुनकर सभी 7 आरोपियों को 1 अप्रैल को पेश होने का आदेश दिया है.
दायर मुकदमें में लिखा गया कि सीरम इंस्टीटयूट ऑफ़ इंडिया द्वारा बनाई गई और सरकारी संस्थान ICMR, स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन द्वारा मान्यता प्राप्त और उपलब्ध कराया जाने वाला Covishield वैक्सीन तथा विभिन्न सरकारी विज्ञापनों से प्रेरित होकर 8 अप्रैल 2021 को पहला डोज लगवाया था. दूसरे डोज की निर्धारित तिथि 28 दिन बाद की दी गई थी. परन्तु 28 दिन बाद जाने पर बताया गया कि अब दूसरी डोज 6 हफ्ते में लगेगी. फिर सरकार ने घोषणा की अब 6 नहीं बल्कि 12 हफ्ते बाद दूसरी डोज लगेगी.
इसके बाद ICMR तथा स्वास्थ्य मंत्रालय ने 21 मई 2021 को कहा कि “With the very first dose of Covishield vaccine, “good levels” of antibodies are produced in the body, but with Covaxin, an adequate immune response is triggered only after the second dose.”
यानी Covishield वैक्सीन पहले डोज के बाद अच्छे लेवल का एंटीबॉडी बनता है. लिहाज़ा 25 मई 2021 को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लैब थायरोकेयर से अपना COVID ANTIBODY GT टेस्ट कराया. जिससे मालूम हो सके कि Covishield Vaccine से एंटीबॉडी बनी या नहीं. लेकिन 27 मई 2021 को रिपोर्ट निगेटिव आई, यानी जिस एंटी बॉडी के लिए वैक्सीन लगवाई थी वो नहीं बनी. बल्कि प्लेटलेट्स भी 3 लाख से घटकर 1.5 लाख काउंट हो गईं. ये न सिर्फ धोखा हुआ बल्कि इससे जान का बड़ा जोखिम बना हुआ है.
अदालत में की गई शिकायत में कहा गया ICMR, स्वास्थ्य विभाग नें बताया था कि ये वैक्सिन लगाने से एंटीबॉडी डेवलप होगी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव यानि एंटीबॉडी बनी ही नहीं बल्कि सामान्य प्लेटलेट भी आधे से भी कम रह गए हैं. इससे संक्रमण का खतरा ज्यादा हो गया है. ये सरासर धोखाधड़ी है.
इनपुट- संतोष कुमार