उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान और गड़बड़ी को राजनीतिक रणनीति के तौर पर हथियार नहीं बनाया जा सकता. जामिया मिलिया इस्लामिया के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज के विकास के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है. युवाओं से खुद को सशक्त बनाना चाहिए. धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र जनता की भलाई के लिए है. इसमें संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस का महत्वपूर्ण स्थान है. लोकतंत्र व्यवधान और उपद्रव की कोई जगह नहीं है.
उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए दुख और पीड़ा हो रही है कि लोकतंत्र के मंदिरों को कलंकित करने के लिए व्यवधान और गड़बड़ी को रणनीतिक साधन के रूप में हथियार बनाया गया है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मानव संसाधनों का सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण घटक है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में इस नीति को अपनाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि वे इसका पालन करेंगे और इस नीति का लाभ उठाएंगे. यह कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों, व्यावसायिक प्रशिक्षण और हमारी शैक्षिक शिक्षा को एक नया आयाम देने पर आधारित है.
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका और फ्रांस की "प्रभावशाली" यात्रा को लेकर कहा कि पूरी दुनिया भारत के साथ साझेदारी करने के लिए उत्सुक है. वैश्विक मुद्दों के समाधान में भारत की प्रासंगिकता कभी इतनी प्रमुख नहीं थी, जितनी आज है. जब आप अवसर का लाभ उठाते हैं तो चुनौतियां भी आती हैं, आपकी प्रगति हर किसी को पसंद नहीं आ सकती. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसी ताकतें हैं, जिनके इरादे भयावह हैं जो आपके विकास के संस्थानों को कलंकित करना चाहते हैं. दुर्भाग्य से कुछ हमारे बीच में हैं. मैं युवा दिमागों से पहल करने और अपने कार्यों के माध्यम से इन ताकतों को बेअसर करने की अपील करता हूं. उन्होंने कहा कि राजकोषीय लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता करना राष्ट्रीय हित में नहीं है.
धनखड़ ने कहा कि कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि आप किसी भी वंश से आते हों. कानून के प्रति जवाबदेह हैं. कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए रास्ते बंद कर दिए गए हैं. चिंता की बात ये है कि जब कानून अपना काम कर रहा है, तो कानून की आंच महसूस करने वाले लोग सड़कों पर क्यों उतरेंगे. यह आप सभी को सोचने का काम है.