भारत और चीन सेनाओं की बीच टेंशन (India-China Border Tesion) इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाली है. दोनों सेनाओं के बीच 14वें दौर की वार्ता एक बार फिर से असफल हो गई है. लगभग 13 घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक में दोनों पक्ष करीबी संपर्क बनाए रखने और शेष मुद्दों के यथाशीघ्र परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिए वार्ता जारी रखने को सहमत हुए हैं. दोनों देशों की ओर जारी किए गए बयान में कहा गया है कि बैठक में भारत की तरफ से हॉट स्प्रिंग, डेप्सांग और डेमचोक इलाकों में सैनिकों की पूर्ण वापसी पर जोर दिया गया.
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर (लद्दाख सीमा) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संबद्ध मुद्दों के समाधान के लिए खुलकर और गहराई से विचारों का आदान-प्रदान किया. बयान में यह भी कहा गया है कि वे इसे लेकर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेतृत्वों द्वारा उपलब्ध कराये गये दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए तथा शेष मुद्दों के यथाशीघ्र हल के लिए काम करना चाहिए.
संयुक्त बयान में जिक्र किया गया कि इससे पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हो सकेगा. इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष पूर्व के नतीजों पर दृढ़ता से अमल करने और सर्दियों के मौसम में भी पश्चिमी सेक्टर में धरातल पर सुरक्षा एवं स्थिरता कायम रखने के लिए प्रभावी कोशिशें करेंगे.
साथ ही दोनों पक्ष करीबी संपर्क बनाए रखने और सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से वार्ता जारी रखने तथा शेष मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए सहमत हुए हैं.
50,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती
पिछले मई में लद्दाख में तनाव शुरू होने के बाद से इस क्षेत्र में 50,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है. लद्दाख ही नहीं, चीन पिछले एक साल में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सीमा से लगे पूर्वी क्षेत्र में आक्रामक कदम उठा रहा है.