Twin Tower Demolition: रविवार की दोपहर जब नोएडा एक्सप्रेसवे पर बने दो टावर ढहाए जाएंगे तो सबसे बड़ा खतरा प्रदूषण का होगा. इसलिए सबके मन में यही सवाल है कि आखिरकार इमारत के गिरने से हज़ारों टन मलबा फैलेगा, उसकी धूल कहां तक जाएगी? क्या वो धूल दिल्ली वालों के फेफड़े को भी खराब करेगी, जो पहले ही प्रदूषण की मार लगभग हर साल झेलते हैं? दिल्ली में इसके हानिकारक असर की संभावना लगभग न के बराबर है. कुछ लोग सोचेंगे जब नोएडा एक्सप्रेस वे देश की राजधानी से महज कुछ ही किलोमीटर दूर है फिर असर क्यों नहीं पड़ेगा, जबकि पंजाब से पराली जैसा धुआं और राजस्थान से चलने वाली हवाओं के साथ धूल दिल्ली तक पहुंच जाती है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब.
मौसम की वज़ह से बचेगी दिल्ली
दरअसल, 28 अगस्त यानि रविवार को दिल्ली और आसपास के इलाकों, यहां तक कि नोएडा में मौसम खुश्क रहेगा यानि बारिश की संभावना कम ही है. ऐसे ड्राई मौसम में धूल के फैलने के लिए अनुकूल स्थितियां होती हैं, लेकिन फिर भी दिल्ली तक ये धूल के कण ना पहुंचने के पीछे हवा की दिशा यानि डायरेक्शन मुख्य वज़ह बताई जा रही है. मौसम का पूर्वानुमान करने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट के वाइस प्रेसीडेंट महेश पालावत बताते हैं कि 28 अगस्त यानि रविवार को हवा का रुख नॉर्थ-वेस्ट यानि उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर से रहेगा. यानि हवा धूल के कणों को दिल्ली की बजाए उत्तरप्रदेश के पश्चिमी हिस्सों की ओर ले कर जाएगी और दिल्ली का इस प्रदूषण से बचाव हो जाएगा. जानकार बताते हैं कि उस दिन सूखे मौसम के साथ हवा की रफ्तार लगभग 25 किलोमीटर के आस-पास बने रहने की संभावना है जो धूल को पूर्व की तरफ धकेलेगा.
तो क्या उत्तर प्रदेश की बढ़ेगी परेशानी?
शुरुआती अनुमान तो यही बताते हैं कि ये धूल के कण मथुरा, आगरा की तरफ ही बढ़ेंगे क्योंकि मौसम रविवार को सूखा रहेगा तो ये दूरी भी अच्छी खासी तय कर सकते हैं. लेकिन राहत की बात ये है कि 29 अगस्त यानि सोमवार को यूपी के इलाकों में बारिश होने के आसार हैं और साथ ही साथ विंड पैटर्न यानि हवा की दिशा भी बदल जाएगी. सोमवार से पूरब की ओर से हवा चलनी शुरु होगी जिसके साथ आद्रता भी ठीक-ठाक रहेगी. इसकी वज़ह से धूल के कण बैठ जाएंगे और लगभग 24 घंटे तक अलग-अलग इलाकों में घूमने के बाद उत्तर प्रदेश के ही कुछ इलाकों में उन्हें ठिकाना मिल जाएगा.
बता दें, सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपये का खर्च (Supertech Twin Towers Demolition Cost) आने का अनुमान है. टावर्स को गिराने का यह खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ही वहन करेगी. इन दोनों टावरों में अभी कुल 950 फ्लैट्स बने हैं और इन्हें बनाने में सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किया था.