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आतिशबाजी और पराली से दिवाली पर प्रदूषण ने तोड़ा रिकॉर्ड, गंभीर स्थिति में रही 'हवा'

दिल्ली में दीपावली के एक दिन बाद भी प्रदूषण ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. रविवार को वायु गुणवत्ता का स्तर 4 वर्षों के मुकाबले सबसे खराब दर्ज किया गया. पराली और पटाखे जलने से शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर रविवार को 'आपात' श्रेणी को पार कर गया.

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दिल्ली में प्रदूषण
दिल्ली में प्रदूषण

दिल्ली में पिछले साल की तुलना में इस साल दिवाली के मौके पर प्रदूषण का स्तर ऊंचा रहा और इसकी वजह पराली का बहुत अधिक जलाया जाना और प्रतिकूल मौसम दशा हो सकती है. इसकी जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दी. सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2019 की तुलना में इस साल दिवाली में सभी प्रदूषकों की मात्रा ऊंची रही. 

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बोर्ड की तरफ कहा गया कि, 'दिवाली इस साल मध्य नवंबर में थी जब प्रदूषकों के छितराव के लिए मौसम दशाएं अनुकूल नहीं होती हैं. इसके विपरीत 2019 में दिवाली अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में थी.' इस साल दिवाली के दिन पीएम 2.5 की मात्रा में पराली के दहन का योगदान 32 फीसद था जबकि पिछले साल यह महज 19 प्रतिशत था. 

बोर्ड ने कहा, 'इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पिछले साल की तुलना में 2020 में दिल्ली में पीएम 2.5 की मात्रा में वृद्धि में पराली जलाने का अधिक योगदान रहा तथा यही बात कार्बन मोनोऑक्साइड एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि में सामने आई.'

हालांकि, दिल्ली में दीपावली के एक दिन बाद भी प्रदूषण ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. रविवार को वायु गुणवत्ता का स्तर 4 वर्षों के मुकाबले सबसे खराब दर्ज किया गया. पराली और पटाखे जलने से शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर रविवार को 'आपात' श्रेणी को पार कर गया. हालांकि, ताजा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में हवा की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहने और हल्की बारिश के कारण कुछ राहत मिली. 

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शनिवार शाम वायु गुणवत्ता 'अति गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई थी. इस दिन दिल्ली के प्रदूषण में 'पीएम 2.5' कणों में पराली जलाने की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत थी, लेकिन पटाखों से निकलने वाले धुएं और हवा की मंद गति से हालात और बिगड़ गए. दिल्ली-एनसीआर में सुबह छह बजे 'पीएम 2.5' कणों का स्तर 396 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था. जबकि इनका आपात स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होता है और सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक का होता है. 

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक सुबह छह बजे 'पीएम-10' का स्तर 543 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया जबकि इसका आपात स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होता है और 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक का स्तर भारत में सुरक्षित माना जाता है. 'ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' के मुताबिक 48 घंटे से अधिक समय तक 'पीएम 2.5' कणों का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक तथा 'पीएम 10' का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक बना रहता है तो वायु गुणवत्ता 'अति गंभीर या आपात' श्रेणी में मानी जाती है.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश का उल्लंघन करते हुए शनिवार रात दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर पटाखे जलाए गए. दिल्ली में शनिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 414 दर्ज किया गया जो रात दस बजे 454 तक पहुंच गया था. रविवार को 24 घंटे का औसतन एक्यूआई शाम चार बजे 435 दर्ज किया गया जो पिछले 4 साल में दिवाली के एक दिन बाद दर्ज किया गया सबसे खराब सूचकांक था. पिछले वर्ष दीपावली 27 अक्टूबर को थी और तब 24 घंटे का औसत एक्यूआई 337 था. अगले दो दिन यह 368 और 400 था.

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