मद्रास हाईकोर्ट ने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक भाषण देने के लिए साप्ताहिक तमिल पत्रिका 'तुगलक' के संपादक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की है.
एडवोकेट जनरल विजय नारायण ने आरएसएस विचारक और तमिल पत्रिका 'तुगलक' के संपादक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को नोटिस भेजा है. यह नोटिस उनपर अवमानना की कार्यवाही के तहत भेजी गई है. इससे पहले गुरुमूर्ति के खिलाफ दो शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है. ये शिकायतें एस दोरीसामी और एस कुमार देवन ने दर्ज कराई थीं.
दरअसल 14 जनवरी को पत्रिका के वार्षिक कार्यक्रम के दौरान गुरुमूर्ति ने कथित तौर पर कहा था कि अधिकांश न्यायाधीश बेईमान और गुणहीन होते हैं. वे राजनीतिक प्रभाव की वजह से बढ़िया पद पा जाते हैं. आज देश में भ्रष्टाचार इसलिए बढ़ रहा है. इसके लिए वे लोग भी जिम्मेदार हैं जो उन पर दया दिखाते हैं.
जिसके बाद अधिवक्ता एस दोरीसामी ने महाधिवक्ता विजय नारायण को पत्र लिखकर अवमानना की कार्यवाही के लिए कॉन्ट्रैक्ट ऑफ कोर्ट्स अधिनियम, 1971 की धारा 15 (b) के तहत सहमति मांगी है.
एस के सरकार बनाम विनय चंद्र मिश्रा AIR 1981 SCC 723 मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, "न्यायालय, एडवोकेट जनरल की सहमति के बिना अपने विवेक से इस मामले में दायर की गई याचिका में दी गई सूचना के आधार पर मामले का स्वत: संज्ञान ले सकता है."
हालांकि आरएसएस विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति ने बाद में अपने बयान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वो किसी खास उम्मीदवार को लेकर नहीं कहा था. ना ही किसी खास विशेष को निशाना बनाकर कहा गया था. उस क्षण जो कुछ भी कहा गया वो जजों के बयान पर कहा गया था. पहले से कुछ भी सुनियोजित नहीं था.