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'अपने प्रतिद्वंद्वी को बैटल ग्राउंड में हराते हैं तो...', NSA अजीत डोभाल ने बताया युद्ध का उद्देश्य

सोशल मीडिया के प्रभाव पर डोभाल ने कहा- सोशल मीडिया की विश्वसनीयता अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. आपको सोशल मीडिया पर उन कहानियों को खोजने और उजागर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो पूरी तरह से और स्पष्ट झूठ दिखाती हैं. सोशल मीडिया का उपयोग करके सोशल मीडिया पर फैल रहे फेक न्यूज का मुकाबला करने की जरूरत है.

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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल. (PTI Photo)
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल. (PTI Photo)

देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मशहूर रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटायर्ड) डॉ. जीडी बख्शी (गगन दीप बख्शी) की पुस्तक 'इंडियाज स्ट्रैटजिक कल्चर-महाभारत एंड कौटिल्य वे ऑफ वॉर्स' का विमोचन किया. इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'हम युद्ध क्यों लड़ते हैं, क्या प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को मारने में खुशी मिलती है इसलिए? हमारे सैन्य उद्देश्य क्या हैं और हम उन्हें कैसे हासिल करते हैं?' 

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उन्होंने आगे कहा, 'किसी भी देश के सैन्य उद्देश्यों का लक्ष्य प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र के आत्मबल को तोड़ना होता और युद्ध में उनकी सेना को हराकर देश के आत्मबल को तोड़ा जा सकता है. जब आप अपने प्रतिद्वंद्वी को युद्ध के मैदान में हराते हैं, तो वह आपकी शर्तों पर आपके साथ शांति स्थापित करने के लिए तैयार होता है. चाहे यूक्रेन-रूस का युद्ध हो या कोई और, जिन प्रमुख कार्यों की उपेक्षा की गई उनमें से एक था राष्ट्रीय इच्छाशक्ति का निर्माण करना और उसे मजबूत करना. लगभग 100 साल पहले, एक व्यक्ति जो ऐसा करने के लिए आगे बढ़ा, वह थे स्वामी विवेकानंद.' 

सोशल मीडिया के प्रभाव पर डोभाल ने कहा, 'सोशल मीडिया की विश्वसनीयता अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. आपको सोशल मीडिया पर उन कहानियों को खोजने और उजागर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो पूरी तरह से और स्पष्ट झूठ दिखाती हैं. सोशल मीडिया का उपयोग करके सोशल मीडिया पर फैल रहे फेक न्यूज का मुकाबला करने की जरूरत है. भारतीय सेना के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी पोस्ट की जाती हैं, जो हमारे रक्षा बलों के मनोबल को कम कर सकते हैं. कभी-कभी ऐसी बातें लिखी जाती हैं जिससे हमारे जवानों का अपने नेतृत्व पर से भरोसा उठ जाता है. इसका पुरजोर विरोध करने की जरूरत है. अगर रक्षा बलों के लोग ऐसा कर सकते हैं, तो यह अच्छा है.' 

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मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी 'बोस या गांधी: भारत को आजादी किसने दिलाई?', 'रूस-यूक्रेन युद्ध: सीखे गए सबक' जैसी कई किताबें लिखी हैं. वह भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी हैं और अलग-अलग टीवी चैनलों, अखबारों में बतौर रक्षा विशेषज्ञ अपने विचार रखते हैं.

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