कांग्रेस सांसद धीरज प्रसाद साहू के परिवार के स्वामित्व वाली ओडिशा स्थित डिस्टिलरी कंपनी और कुछ संबंधित संस्थाओं के खिलाफ आयकर विभाग की छापेमारी शुक्रवार को दस दिन बाद समाप्त हो गई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस दौरान 351 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई.
आईटी की टीमों को ओडिशा और झारखंड कैंपस से कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ मिले और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से क्लोन किए गए डेटा प्राप्त हुए. कर अधिकारियों ने 10 दिन की तलाशी के दौरान वितरकों और कुछ हवाला ऑपरेटरों सहित कई संस्थाओं के अलावा रांची में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के पारिवारिक घर की भी तलाशी ली. पूरे ऑपरेशन की अंतिम मूल्यांकन रिपोर्ट फील्ड जांच इकाई द्वारा दिल्ली में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को प्रक्रिया के अनुसार भेज दी गई है. सीबीडीटी कर विभाग के लिए प्रशासनिक निकाय है.
न तो कंपनी और न ही साहू ने अब तक आईटी कार्रवाई पर कोई आधिकारिक बयान या प्रतिक्रिया जारी की है. जबकि भाजपा सहित विपक्षी दलों ने उनके पास अवैध नकद धन होने की बात कही है. विभाग द्वारा ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 30-34 परिसरों की तलाशी ली गई और इस ऑपरेशन के दौरान लगभग तीन किलोग्राम सोने के आभूषण भी जब्त किए गए. आईटी अधिकारियों ने इन छापों के दौरान 351 करोड़ रुपये की अब तक की सबसे अधिक नकदी जब्त करने का दावा किया है.
इससे पहले 2019 में जीएसटी इंटेलिजेंस ने कानपुर स्थित एक व्यवसायी के घर पर छापा मारा था जिसमें लगभग 257 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई. इस ऑपरेशन के दौरान, आयकर विभाग ने रांची में साहू के घर पर एक ग्राउंड स्कैनिंग व्हील वाली मशीन लगाई जिसके टॉप पर एक मॉनिटर था, ताकि सतह के नीचे कीमती सामान को स्कैन किया जा सके. यहां तक कि तीन दर्जन मुद्रा गिनने वाली मशीनें भी लाई गईं और विभिन्न बैंकों की मदद ली गई.
अधिकारियों ने कहा कि गिनने वाली मशीनें कई बार खराब हो गईं. क्योंकि उनका लगातार उपयोग किया जा रहा था. इसके अलावा कई नोट गंदे थे, जिससे इन्फ्रारेड सेंसर ब्लॉक हो गए. सूत्रों ने कहा कि कई नोटों के बंडलों को दो या तीन बार गिना गया क्योंकि नोट साफ नहीं थे और टेलर (मुद्रा गिनने वाले कर्मचारी) को सही आंकड़ा लेने में दिक्कत हो रही थी.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भारी नकदी की बरामदगी पर कांग्रेस पर हमला बोला.