ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने राज्य के विभिन्न जिलों में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने के लिए एक नई पहल का ऐलान किया है. हाल ही में बांग्लादेश में हुए अस्थिरता और सरकार परिवर्तन के चलते यह कदम उठाया गया है. सोमवार को ओडिशा विधानसभा के एक सत्र के दौरान, सीएम माझी ने बताया कि अधिकारियों को सख्ती से निपटने के निर्देश दिए गए हैं.
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने विधानसभा में विधायक भास्कर मढ़ेई के उस सवाल के जवाब में दिया, जिसमें उन्होंने केंरदापरा, भुवनेश्वर, और पुरी में बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी को लेकर राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में सीएम ने बताया कि सभी जिलों को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं.
यह भी पढ़ें: 'बांग्लादेशी घुसपैठियों को निश्चित ही रोकेंगे', BJP में शामिल होने के बाद बोले चंपाई सोरेन
कैसे होगी बांग्लादेशियों की पहचान? सीएम ने बताया
सीएम ने बताया कि जिलों के कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षक घुसपैठियों की पहचान करेंगे और खासतौर पर उन जिलों में सख्ती बरतने की सलाह दी गई है, जहां बांग्लादेशियों की ज्यादा मौजूदगी है. इस दौरान ब्लॉक, तहसील और पुलिस स्टेशन स्तर पर घुसपैठियों की पहचान के लिए एक कमेटी काम करेगी, जो संगठित तरीके से घुसपैठियों की पहचान और दस्तावेज तैयार करेगी.
सीएम माझी का निर्देश पिछली बीजू जनता दल सरकार की एक रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें 3,740 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान की गई थी. इन जिलों में बारगढ़, भद्रक, केंरदापरा, जगतसिंहपुर, मलकानगिरी, नबंरंगपुर, और भुवनेश्वर शामिल हैं.
यह भी पढ़ें: 'बांग्लादेशी घुसपैठ से आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में', BJP में शामिल होने से पहले बोले चंपाई सोरेन
मुख्यमंत्री मोहन माझी ने यह भी बताया कि किन जिलों में कितने घुसपैठिए हैं:
बांग्लादेश में विवाद के बाद हो रहा एक्शन
हाल ही में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेशियों के भारत में प्रवेश करने की आशंका है. मसलन, पड़ोसी देश में विवाद के बाद से बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों को भारत की सीमाओं पर देखा गया था. केंद्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है और राज्यों की सीमाओं पर सुरक्षा भी बढ़ाई गई है.