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Odisha Train Accident: घायलों से खचाखच भरे अस्पताल, 20 घंटे से लगातार ड्यूटी पर मेडिकल स्टाफ

ओडिशा में बालासोर जिला अस्पताल और सोरो अस्पताल में घायलों को भर्ती कराया गया है. हालांकि, अस्पतालों में बिल्कुल जगह नहीं है. मरीजों से खचाखच भर गए हैं. घायलों को कॉरिडोर में स्ट्रेचर पर लेटे हुए देखा जा रहा है. मेडिकल स्टाफ 20 घंटे से लगातार घायलों की मदद करने में लगा है. घायलों की जान बचाने के लिए समाजसेवी भी आगे आए है. यहां रातभर में लगभग 500 यूनिट ब्लड एकत्र किया गया है.

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ट्रेन हादसे के बाद बालासोर के अस्पताल में लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए पहुंचे हैं. यहां रातभर रक्तदान के लिए लोगों की लाइन लगी रही.
ट्रेन हादसे के बाद बालासोर के अस्पताल में लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए पहुंचे हैं. यहां रातभर रक्तदान के लिए लोगों की लाइन लगी रही.

ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 280 लोगों की मौत हो गई और 900 से ज्यादा घायल हो गए हैं. हादसा बहानगा बाजार स्टेशन के पास हुआ. यहां कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर हावड़ा एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच टक्कर हुई है. हादसे के बाद बालासोर के जिला अस्पताल और सोरो अस्पताल में तीनों ट्रेन दुर्घटना के बाद घायलों को भर्ती कराया गया है. हालांकि, ये दोनों अस्पताल घायलों की बढ़ती संख्या से खचाखच भर गए हैं. दोनों अस्पतालों के प्रत्येक कमरे और गैलरी भी घायलों से भरी देखी जा रही है.

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बता दें कि ओडिशा के बालासोरा जिले में बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है. शुक्रवार शाम करीब 7 बजे चेन्नई से हावड़ा जा रही 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस और यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस को बहानगा बाजार स्टेशन से गुजरना था. ऐसे में मालगाड़ी को कॉमन लूप लाइन पर खड़ा कराया गया था. दोनों ही ट्रेन की रफ्तार तेज थी, तभी कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक पटरी से उतर गई और उसके कुछ डिब्बे मालगाड़ी से जा भिड़े. हादसे के समय डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बे भी पटरी से उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भीषण ट्रेन हादसे के मद्देनजर शनिवार को एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. 

20 घंटे से लगातार ड्यूटी पर मुस्तैद है मेडिकल स्टाफ

हादसे के बाद शुक्रवार रात 9 बजे से घायलों का बालासोरा के अस्पतालों में पहुंचना शुरू हो गया था. तब से लगातार घायलों के आने का सिलसिला चला आ रहा है. यहां तैनात मेडिकल स्टाफ भी तब से घायलों के इलाज में जुटा है. डॉक्टर से लेकर पैरामेडिकल और अन्य कर्मचारियों ने अब तक रेस्ट नहीं लिया है. बालोसरा और सोरो अस्पताल में लाए गए घायलों की हालत गंभीर है. यहां मेडिकल स्टाफ को घायलों की मदद करने की कोशिश करते देखा जा रहा है. अस्पतालों में जो मेडिकल स्टाफ है, उनमें कई ओडिशा के अलावा अन्य राज्यों से भी आया है. हालांकि उन्हें बातचीत करने में परेशानी हो रही है.

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'ऐसी भयावहता कभी नहीं देखी...'

शनिवार दोपहर तक कुल 526 घायलों को बालासोर के जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था. घायलों को कटक के बालासोर, सोरो, भद्रक, जाजपुर अस्पताल और एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है. बालासोर के अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी (एडीएमओ) डॉ. मृत्युंजय मिश्रा ने बताया कि वो कई दशकों से इस पेशे में हैं, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कभी भी इस तरह की भयावहता नहीं देखी. उन्होंने कहा, अचानक 251 दुर्घटना में घायल यात्री हमारे अस्पताल पहुंचे और हमारे यहां बिल्कुल भी तैयारी नहीं थी.

रक्तदान के लिए आगे आए युवा, रातभर लगी रही लाइन 

उन्होंने बताया कि हमारे स्टाफ ने रातभर काम किया और सभी को प्राथमिक उपचार दिया. कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 64 घायलों को रेफर किया गया है. अब हमारे पास बेड पर 60 मरीज हैं. अन्य को मामूली सर्जरी के बाद छुट्टी दे दी गई. यहां युवाओं ने वाकई हमें आश्चर्यचकित कर दिया. रक्तदान करने के लिए बड़ी संख्या में युवाओं की लाइन लगी देखी गई. हमने रातभर में लगभग 500 यूनिट ब्लड एकत्रित किया. सभी को धन्यवाद देता हूं. यह जीवन भर का अनुभव है. अब चीजें काफी सामान्य हैं. 

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2 हजार से ज्यादा लोग अस्पताल में मदद करने पहुंचे

वहीं, स्थानीय प्रशासन ने बताया कि पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग आगे आए और स्वेच्छा से बालासोर जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों में रातभर रक्तदान करते रहे. घायलों की मदद के लिए रात में 2,000 से ज्यादा लोग बालासोर मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पताल में एकत्र हुए और रक्तदान किया.

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शवों की पहचान करने पहुंच रहे दोस्त, परिजन और रिश्तेदार

हादसे में मरने वालों की संख्या भी सैकड़ों की संख्या में होने से अस्पताल के मुर्दाघर सफेद कफन से ढकी लाशों का ढेर बन गए हैं. कई शवों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है. यहां परिजन और रिश्तेदार पहुंच रहे हैं और शिनाख्त कर रहे हैं. कई शवों की पहचान करने में परेशानी आ रही है. उनके कपड़ों और अन्य सामान के जरिए पहचान की कोशिश की जा रही है.

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पश्चिम बंगाल के कई लोगों समेत अन्य ऐसे भी परिजन और रिश्तेदार मिले, जो अपने लापता रिश्तेदारों और दोस्तों की तलाश में बालासोर अस्पताल और सोरो के चक्कर लगा रहे हैं. 

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हादसे में जगदेब पात्रा के दोनों हाथों में फ्रैक्चर हो गया है. वो बालासोर अस्पताल में भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि वे चेन्नई जा रहे थे. झारखंड के रहने वाले घायल यात्री मुकेश पंडित ने बताया कि वो कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई जा रहे थे. दुर्घटना में घायल हो गए हैं. हालांकि, शुरुआत में दर्द का एहसास नहीं हुआ. 

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स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स से डॉक्टर्स की टीमें भेजीं

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को कहा कि एम्स भुवनेश्वर के डॉक्टरों को ट्रेन दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों में सहायता के लिए ओडिशा के बालासोर और कटक भेजा गया है. मंडाविया ने ट्विटर किया और कहा, ओडिशा में रेल दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों में सहायता के लिए एम्स-भुवनेश्वर के डॉक्टरों की दो टीमों को बालासोर और कटक के लिए भेजा गया है. उन्होंने कहा, हम प्रत्येक घायल को बचाने के लिए सभी जरूरी मदद और चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहे हैं.

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