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'भालोबेशी तोके चाई...', बालासोर में हादसे के बाद पटरी पर बिखरे हैं प्रेम के अधूरे तराने

कोरोमंडल एक्सप्रेस के क्षतिग्रस्त डिब्बे के बगल में स्थित पटरियों में नोटबुक मिली है. डायरी में बंगाली भाषा में कविताएं लिखी है. इसके साथ-साथ कई स्केच बनाए गए थे और पन्ने अलग-अलग कहानियों को बयां कर रहे हैं.

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हादसे के बाद ट्रेन पर बिखरे पड़े थे डायरी के पन्ने (फोटो-Twitter @shuklaBchandra)
हादसे के बाद ट्रेन पर बिखरे पड़े थे डायरी के पन्ने (फोटो-Twitter @shuklaBchandra)

ओडिशा के बालासोर हुए ट्रेन हादसे को हुए तीन दिन हो चुके हैं, रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के बाद अब ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही भी शुरू हो गई. हादसे में जहां 275 लोगों की मौत हो गई वहीं कई लोग अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं. इस हादसे में ना जाने कितनों के प्रियजन मौत के गाल में समा गए हैं, वहीं कई लोग ऐसे हैं जो अभी भी अपनों का इंतजार कर रहे हैं. ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों की अलग-अलग कहानियां भी सामने आ रही हैं. इन सबके बीच जिस जगह भीषण रेल हादसा हुआ वहां रेल की पटरियों पर नोटबुक के बिखरे पन्ने मिले हैं जिन पर बंगाली में प्रेम का इज़हार किया गया है.

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नोटबुक के इन पन्नों में हाथों से प्रेम पर कविताएं लिखी हैं.  बंगाली भाषा में लिखी एक कविता का अर्थ है- 'छोटे बादल बारिश बनाते हैं, छोटी कहानियों से प्यार बनता है. हाथियों, मछलियों और सूरज के रेखाचित्रों के साथ एक डायरी के फटे हुए पन्नों पर जो लिखा गया है, वह शायद किसी मुसाफिर ने ट्रेन में सफर करने के दौरान लिखा था. हालांकि इस मुसाफिर की पहचान अब तक नहीं हो सकी है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बंगाली में लिखी इस हस्तलिखित कविता के कुछ अंश इस प्रकार है,

‘अल्पो अल्पो मेघा थाके,
हल्का ब्रिस्टी होय,
छोटो-छोटो गलपो थेके भालोबाशा सृष्टि होय'
 

जिसका अर्थ है- ठहरे ठहरे बादलों से बरसती हैं बूंदे, जो हमने तुमने सुनी थी कहानियां, उनमें खिलती हैं मोहब्बत की कलियां.  एक और आधी अधूरी कविता के जो पन्ने ट्रेन की पटरियों पर बिखरे हुए थे, उनकी बंगाली में लिखी लाइनें इस प्रकार हैं-

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 'भालोबेशी तोके चाई साराखोन,

आचिस तुई मोनेर साथे.'

इसका अर्थ है 'प्यार से मुझे हर समय आपकी जरूरत है, आप हर समय मेरे दिमाग में हैं.' लोग इन कविताओं को पढ़कर भावुक हो गए और एक शख्स ने लिखा, 'कितना हृदय विदारक है.. इससे पता चलता है कि जीवन कितना अप्रत्याशित था.' स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अब तक कोई भी शख्स इन कविताओं या नोटबुक पर दावा करने के लिए आगे नहीं आया है.  लिखने वाले के साथ क्या हुआ ? इसकी जानकारी भी नहीं मिल सकी है.

कैसे हुआ हादसा? 

रेलवे की तरफ से बताया गया कि ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त डिरेल होकर वो अप लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई. ट्रेन पूरी रफ्तार (फुल स्पीड) में थी, इसका परिणाम यह हुआ कि 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए.  विदित हो कि हर रेलवे स्टेशन पर दूसरी ट्रेन पास कराने के लिए लूप लाइन होती है. बहानगा बाजार स्टेशन पर अप और डाउन, दो लूप लाइन हैं. किसी भी गाड़ी को लूप लाइन पर तब खड़ा किया जाता है, जब किसी दूसरी ट्रेन को स्टेशन से पास कराया जाना हो. 

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