ओडिशा में हुए भीषण रेल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है. अब रेलवे ट्रैक से मलबा हटाने का काम जारी है ताकि ट्रेनों की आवाजाही शुरू की जा सके. इधर अभी एक हजार से अधिक घायलों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि 288 लोगों की इस हादसे में जान जा चुकी है.
इस बीच घायलों तथा मृतक परिजनों की सहायता के लिए सरकार ही नहीं बल्कि स्वयंसेवी संगठन भी आगे आ रहे हैं. हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस ट्रेन हादसे पर गहरा दुख जताया है. फेडरेशन ने कहा है कि जिन लोगों को आपातकालीन सहायता और चिकित्सा उपचार की जरूरत है, वह उन्हें हरसंभव मदद देने के लिए तैयार है..
नैटहेल्थ के अध्यक्ष आशुतोष रघुवंशी ने कहा, 'हम ओडिशा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना से बेहद दुखी हैं, जहां एक बड़े ट्रेन हादसे में कई लोगों की मौत गई जबकि कई लोग घायल हो गए. नैटहेल्थ-हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़े अस्पताल और अन्य हेल्थकेयर क्रिटिकल केयर डिलीवरी यूनिट्स इस दुख की घड़ी में भारत के लोगों और शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी हैं.'
आशुतोष रघुवंशी ने आगे कहा कि, 'जिन लोगों को आपातकालीन सहायता और चिकित्सा उपचार की जरूरत है, उन्हें हम हरसंभव मदद देने के लिए तैयार हैं. ओडिशा और कोलकाता के हमारे सभी अस्पताल बालासोर और कटक में राज्य तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ संपर्क में बने हुए हैं ताकि आवश्यकतानुसार आपातकालीन चिकित्सा सहायता और सेवाएं प्रदान की जा सकें.
उन्होंने बताया कि भुवनेश्वर, कटक और आसपास के शहरों में स्थित निजी अस्पतालों के आपातकालीन और क्रिटिकल केयर वार्ड हाई अलर्ट पर हैं और दुर्घटनास्थल के पास सीएचसी और पीएचसी से रेफर किए गए मरीजों को भर्ती करने के लिए तैयार हैं.'
वहीं रेल दुर्घटना के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सैकड़ों स्वयंसेवक राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं. संघ के स्वयंसवकों ने करीब 500 यूनिट रक्तदान किया है. बालेश्वर जिले के बाहनगा रेलवे स्टेशन के निकट हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद संघ के स्वयंसेवक घटनास्थल पर पहुंच गये. राहत बचाव में देरी ना हो, इसके लिए स्वयंसेवकों ने तत्काल प्रभाव से ऑटो, मोटरसाइकिल से घायलों को अस्पताल ले जाने लगे.
संघ के स्वयंसेवक प्रशासन और बचाव कार्यों में लगे एजेंसियों के साथ मिल कर दुर्घटना में फंसे घायल यात्रियों को बाहर निकालने में मदद की है. यहां पर करीब 500 स्वयंसेवकों ने रक्तदान किया.