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किसी के हाथ नहीं थे, तो किसी के पैर नहीं थे. किसी का चेहरा ही बुरी तरह कट चुका था... ये शब्द हैं ओडिशा ट्रेन हादसे का शिकार हुए एक यात्री के. उन्होंने शुक्रवार शाम को बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे का आंखों देखा मंजर बयां किया है. इसी के साथ हादसे में बाल-बाल बचे अन्य यात्रियों ने भी बताया कि हादसे के वक्त कैसा दृश्य था.
बता दें, ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को हावड़ा-बंगलुरु ट्रेन के कई कोच पटरी से उतरे और दूसरे ट्रैक पर शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए. इसके बाद कोरोमंडल ट्रेन के कोच भी बेपटरी हो गए और बगल से गुजर रही मालगाड़ी से टकरा गए. इस भीषण रेल हादसे में अब तक 280 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि, 900 यात्री इस हादसे में घायल हुए हैं.
हादसे में बाल-बाल बचे कुछ यात्रियों ने एक न्यूज एजेंसी से हादसे का आंखों देखा मंजर बयां किया है. एक यात्री ने बताया कि आरक्षित श्रेणी के बावजूद कोच में लोग भरे हुए थे. ट्रेन पलटी, उस वक्त मैं सो रहा था. अचानक झटका लगा, आंख खुली तो मेरे ऊपर कम से कम 15 लोग आ गिरे. मैं किसी तरह जान बचाकर बाहर निकला, तो देखा कि किसी के हाथ नहीं, किसी के पैर नहीं और किसी-किसी का चेहरा तो बुरी तरह बिगड़ चुका था.
यात्री ने आगे बताया, ''मुझे कई जगह चोट लगीं, पर भगवान का शुक्र है कि जान बच गई.'' वहीं, एक अन्य यात्री गोविंदा मंडल ने बताया कि हमें लगा, अब हम बच नहीं पाएंगे. किसी तरह कुछ यात्रियों ने बोगी की खिड़कियां तोड़ीं, तब जाकर हम बाहर निकल पाए.
वहीं, एक घायल यात्री ने हादसे का जिक्र करते हुए बताया कि शाम 6:55 के आसपास जोर की आवाज आई और फिर ट्रेन पलट गई. तब पता चला कि ट्रेन हादसा हुआ है. हादसे में बहुत लोग घायल हुए हैं. तो कई लोग मारे गए हैं. एंबुलेंस और बचाव कर्मी तुरंत आ गए थे. जिस कारण हम लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया.
एक अन्य यात्री ने बताया, बोगियों और डिब्बों के शौचालयों में फंसे लोगों को निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया. घटनास्थल के कुछ दृश्य तो बयान करने लायक ही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं इस हादसे को जिंदगी में कभी याद नहीं करना चाहूंगा.
एक झटका लगा और कई लोग छिटक गए बाहर
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेरहामपुर निवासी पीयूष पोद्दार इस हादसे में बचे कुछ खुशनसीब लोगों में शामिल हैं, जो बच गए. वह बताते हैं कि कोरोमंडल एक्सप्रेस से वह तमिलनाडु जा रहे थे.
जब यह हादसा हुआ उसे याद करते हुए वह कहते हैं, 'हमें झटका लगा और अचानक हमने ट्रेन की बोगी को एक तरफ मुड़ते देखा. कोच तेजी से पटरी से उतरने लगे और एक झटके के साथ हममें से कई लोग डिब्बे से बाहर फेंका गए. हम रेंग कर किसी तरह बाहर निकले, लेकिन हमारे आस-पास चारों तरफ शव पड़े हुए थे.